चीन को लेकर विदेश मंत्री एस जयशंकर का बड़ा बयान, चौराहे पर खड़े हैं दोनों देशों के संंबध

भारत-चीन की सेनाओं के बीच पैगोंग इलाके में पिछले साल हिंसक झड़प देखने को मिला, इसके बाद दोनों पक्षों ने हजारों सैनिकों और भारी हथियारों की तैनाती की थी।

New Delhi, May 21 : विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पूर्वी लद्दाख गतिरोध का जिक्र करते हुए कहा कि भारत और चीन के संबंध चौराहे पर हैं, इसकी दिशा इस बात पर निर्भर करती है कि क्या पड़ोसी देश सीमा पर शांति बनाये रखने के लिये विभिन्न समझौतों का पालन करती है।

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पूर्वी लद्दाख घटना ने भारत-चीन के रिश्ते पर डाला असर
जयशंकर ने कहा कि 1962 के संघर्ष के 26 साल बाद 1988 में तत्कालीन पीएम राजीव गांधी चीन गये थे, ताकि सीमा पर स्थिरता को लेकर सहमति बन सके, इसके बाद 1993 और 1996 में सीमा पर शांति बनाये रखने के लिये दो महत्वपूर्ण समझौते हुए, फाइनेंशियल एक्सप्रेस और इंडियन एक्सप्रेस द्वारा आयोजित वेबिनार को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि सीमा पर स्थिरता के मद्देनजर कई क्षेत्रों में संबंधों में विस्तार हुई, लेकिन पूर्वी लद्दाख की घटना ने इस पर प्रतिकूल प्रभाव डाला।

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सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया जल्द पूरी होनी चाहिये
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा लद्दाख क्षेत्र में सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया जल्द पूरी होनी चाहिये, सीमावर्ती इलाकों में पूर्ण रुप से शांति बहाली से ही द्विपक्षीय संबंधों में प्रगति सुनिश्चित की जा सकती है।

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हिंसक झड़प के बाद गतिरोध शुरु
भारत-चीन की सेनाओं के बीच पैगोंग इलाके में पिछले साल हिंसक झड़प देखने को मिला, इसके बाद दोनों पक्षों ने हजारों सैनिकों और भारी हथियारों की तैनाती की थी, सैन्य और राजनयिक स्तर पर वार्ता के बाद दोनं पक्षों ने इस साल फरवरी में पैगोंग से सैनिकों और हथियारों को पीछे हटा लिया था।