सिर पर लाखों का लोन, अचानक पिता की मौत, किसानी कर कहां से कहां पहुंची, प्रेरणादायक है रीना की कहानी

दरअसल रीना नागर भौरी बकानियां गांव की रहने वाली है, उनके संघर्ष की कहानी शुरु होती है 7 साल पहले, रीना उस समय कंप्यूटर साइंस की पढाई कर रही थी, लेकिन अचानक परिवार पर संकट आ गया।

New Delhi, Jun 27 : अगर आज रीना के पिता जीवित होते तो अपनी बेटी पर वैसे ही गर्व कर रहे होते, जैसे आज उनका परिवार करता है, 25 वर्षीय रीना उन्हीं की तरह कड़ी मेहनत करने वाली और चुनौतियों से लड़ने वाली है, रीना नागर का जज्बा देख चर्चित ट्रैक्टर कंपनी ने अपने कैलेंडर में उन्हें जगह दी है, आज गांव वाले बड़े सम्मान के साथ उनका नाम लेते हैं, रीना को बेटी नहीं बल्कि बेटा माना जाता है।

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स्ट्रगल की कहानी
दरअसल रीना नागर भौरी बकानियां गांव की रहने वाली है, उनके संघर्ष की कहानी शुरु होती है 7 साल पहले, रीना उस समय कंप्यूटर साइंस की पढाई कर रही थी, लेकिन अचानक परिवार पर संकट आ गया, कृषि उपकरणों का व्यवसाय-खेती करने वाले किसान पिता की अचानक मौत हो गई, परेशानियों ने चारों ओर से घेर लिया, रीना इससे टूटी नहीं बल्कि मजबूती से इसका सामना किया, रीना ने जब देखा कि मां, दो बहनों और भाई की जिम्मेदारी उस पर आ गई है, तो उसने खुद को कमजोर नहीं होने दिया।

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लाखों का चुकाया लोन
रीना ने बताया कि पिता जमना प्रसाद के जाने के बाद लोग कहा करते थे कि खेती-किसानी लड़कियों के बस की बात नहीं, लेकिन मैं नहीं मानी, मैंने पिता की कृषि उपकरणों के बिजनेस को संभालने का फैसला लिया। rupees शुरुआत में थोड़ी मुश्किलें आई, लेकिन मैंने ना सिर्फ खेती-किसानी का काम सीखा, बल्कि ट्रैक्टर चलाकर बोनी, जुताई, हार्वेस्टिंग करने का काम किया, रीना के अनुसार पिता की डायरी में दर्ज नंबरों से पुराने वर्कर्स को फिर से जोड़ा और उनकी मदद ली, रीना ने आज अपनी मेहनत से पिता का लिया 30 लाख रुपये का कर्ज चुका दिया है, उसने मेहनत से हार्वेस्टर सहित कृषि उपकरण खरीद लिये हैं।

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भाई-बहनों को भी सिखा रही
रीना ने बताया कि उसके पास 7 एकड़ खुद की जमीन है, वो 7 एकड़ दूसरे की जमीन पर खेती करती है, भाई-बहनों को पढा रही है, मां का हाथ बंटाती है, इतना ही नहीं खेती-किसानी के काम के साथ-साथ रीना पार्ट टाइम जॉब भी करती है, farmer क्योंकि इससे परिवार को आर्थिक मजबूती मिलती है, रीना की मां सोदर बाई ने बताया कि मेरी बेटी अपने मजबूत इरादों से पिता के व्यवसाय को ना सिर्फ आगे बढा रही है, बल्कि खेती-किसानी के गुर भी सिखा रही है।