पंजाब में नहीं बन रही नवजोत सिंह सिद्धू की बात, अब राहुल गांधी ने खारिज किया दावा

नवजोत सिंह सिद्धू के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ विभिन्न मुद्दों पर गंभीर मतभेद रहे हैं, इसे लेकर राहुल गांधी से मुलाकात करके सिद्धू अपना पक्ष रखना चाहते थे।

New Delhi, Jun 30 : ऐसा लग रहा है कि क्रिकेटर से राजनेता बने नवजोत सिंह सिद्धू की ग्रहदशाएं सही नहीं चल रही है, प्रदेश में अंदरुनी कलह से परेशान पार्टी में सुलह की स्थिति बन ही नहीं पा रही है, मंगलवार को सिद्धू की मुलाकात राहुल गांधी और प्रियंका गांधी से होने की बात कही जा रही थी, लेकिन राहुल गांधी ने इसका खंडन कर दिया, उन्होने साफ कहा कि उनकी सिद्धू के साथ कोई बैठक तय नहीं है, इससे सिद्धू को निराशा हाथ लगी।

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मुलाकात की बात
इससे पहले उनके ऑफिस की ओर से कहा गया था कि मंगलवार को राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा से मुलाकात करने के लिये वो दिल्ली में होंगे, ये बैठक कांग्रेस द्वारा अपनी पंजाब ईकाई के भीतर अंदरुनी कलह को खत्म करने की कोशिशों के बीच हो रही है, Navjot_Singh_Sidhu_PTI (1) इस महीने की शुरुआत में सिद्धू पंजाब कांग्रेस के भीतर की अंदरुनी कलह को सुलझाने के लिये कांग्रेस द्वारा गठित तीन सदस्यीय पैनल के सामने पेश हुए थे, अब राहुल गांधी के साथ उनकी मुलाकात एआईसीसी के पूर्व प्रमुख के पंजाब के दो दर्जन से ज्यादा पार्टी नेताओं से मिलने के बाद होने की बाद कही गई थी, ऐसी खबरें आई थी कि सिद्धू पीपीसीसी प्रमुख पद के लिये दौड़ में हैं, पार्टी ने सिर्फ ये कहा कि सिद्धू के लिये कई भूमिकाएं हैं।

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सीएम से मतभेद
नवजोत सिंह सिद्धू के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ विभिन्न मुद्दों पर गंभीर मतभेद रहे हैं, इसे लेकर राहुल गांधी से मुलाकात करके सिद्धू अपना पक्ष रखना चाहते थे, पंजाब में अगले साल से शुरु में ही विधानसभा चुनाव हैं, sidhu captain ऐसे में इस तरह के राजनीतिक मतभेद पार्टी कार्यकर्ताओं के मनोबल पर बुरा असर डालेंगे।

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शोपीस नहीं हूं
हाल ही में इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए सिद्धू ने कहा था कि अगर पंजाब के विकास के उनके एजेंडा पर अमल किया जाए, तो वो जिला परिषद के सदस्य तक बनने और सीएम अमरिंदर सिंह के पीछे चलने तक को तैयार हैं, Navjot singh Sidhu उन्होने कहा कि मैं शोपीस नहीं हूं, जिसे आप चुनावी अभियान में निकालें, चुनाव जीतें और बाद में आलमारी में बंद करके रख दें, आप ऐसा कैसे कर सकते हैं, राज्य के हित के ऊपर निहित स्वार्थ को कैसे रख सकते हैं। ये हमारे लिये असहनीय हैं।