नक्सली हमले ने बदल दी जिंदगी, पहले IPS फिर IAS बनी, बेहद प्रेरणादायक है नम्रता की कहानी

नम्रता जैन ने अपनी शुरुआती पढाई दंतेवाड़ा के कारली के निर्मल निकेतन स्कूल से की, लेकिन दसवीं पास करने के बाद मुश्किल आई, क्योंकि घर वालों ने आगे की पढाई के लिये बाहर भेजने से मना कर दिया।

New Delhi, Jul 05 : छत्तीसगढ के नक्सल प्रभावित इलाके दंतेवाड़ा जिले की रहने वाली नम्रता जैन ने साबित कर दिया कि मुश्किल हालातों के बावजूद भी अपने सपने को पूरा किया जा सकता है, दंतेवाड़ा जैसे नक्सल प्रभावित जिले की रहने वाली नम्रता को अब महासमुंद में पोस्टिंग मिली है, उन्होने एसडीएम की जिम्मेदारी संभाल ली है, इससे पहले वो रायपुर में ट्रेनी असिस्टेंट कलेक्टर थी।

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राह आसान नहीं
रिपोर्ट के अनुसार नम्रता जैन छत्तीसगढ के दंतेवाड़ा जिले के कारली की रहने वाली है, दंतेवाड़ा जिला देश में नक्सलवाद प्रभावित क्षेत्रों में से एक है, नम्रता के लिये पढाई कर आईएएस बनना आसान नहीं था। उन्होने एक इंटरव्यू में बताया कि कस्बे में एक पुलिस स्टेशन में नक्सलियों ने विस्फोट किया था, जिसने उन्हें सिविल सेवा में शामिल होकर गरीबों की सेवा करने और माओवाद प्रभावित क्षेत्र में विकास लाने के लिये प्रेरित किया, उन्होने बताया मैं जिस जगह से आती हूं, वो नक्सलवाद से बुरी तरह प्रभावित है, वहां के लोगों के पास शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधाएं नहीं है, मैं अपने राज्य के लोगों की सेवा करना चाहती हूं, दंतेवाड़ा में विकास लाना वहां से नक्सलवाद का सफाया करने में मदद करेगा।

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मां ने किया सपोर्ट
नम्रता जैन ने अपनी शुरुआती पढाई दंतेवाड़ा के कारली के निर्मल निकेतन स्कूल से की, लेकिन दसवीं पास करने के बाद मुश्किल आई, क्योंकि घर वालों ने आगे की पढाई के लिये बाहर भेजने से मना कर दिया, हालांकि नम्रता की मां ने उनका पूरा सपोर्ट किया, परिवार वालों को नम्रता की पढाई के लिये राजी किया, इसके बाद नम्रता ने 5 साल भिलाई और तीन साल दिल्ली में रहकर पढाई की।

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इंजीनियरिंग के बाद नौकरी नहीं
नम्रता ने भिलाई के इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से इंजीनियरिंग की, इसके बाद उन्हें एक पब्लिक सेक्टर में नौकरी ऑफर हुई, हालांकि नम्रता का सपना कुछ और था, उन्होने उन्होने नौकरी नहीं की और दिल्ली जाकर यूपीएससी की तैयारी करने का मन बना लिया, नम्रता को यूपीएससी परीक्षा की तैयारी के लिये सबसे ज्यादा प्रोत्साहित उनके चाचा और मामा ने किया था। नम्रता जब परीक्षा की तैयारी कर रही थी, तो 6 महीने के अंतराल में दो चाचा की मौत हार्ट अटैक से हो गई, जिससे वो काफी टूट गई थी, हालांकि उन्होने अपने सपने नहीं टूटने दिया, तैयारी में लगी, पहली बार 2015 में यूपीएससी की परीक्षा दी, लेकिन सफल नहीं हो पाई, फिर 2016 में 99वां रैंक लाने के बावजूद भी आईएएस नहीं बन सकी, वो एमपी कैडर की आईपीएस बनी, लेकिन नम्रता का लक्ष्य आईएएस बनने का था, इसलिये उन्होने आईपीएस की ट्रेनिंग के दौरान भी तैयारी नहीं छोड़ी, 2018 में उन्होने फिर भाग्य आजमाया, इस बार उनकी मेहनत रंग लाई और उन्होने पूरे देश में 12वां रैंक हासिल किया, आईएएस बनने का सपना पूरा हो गया।