मोहन भागवत के DNA वाले बयान ने उड़ाई राजनीतिक पार्टियों की नींद, बिगड़ता दिख रहा समीकरण

मोहन भागवत के इस बयान के बाद उनकी साफगोई विरोधी दलों के लिये परेशानी बनती दिख रही है, इसके कई मायने निकाले जा रहे हैं।

New Delhi, Jul 06 : आरएसएस के सर संघचालक मोहन भागवत के डीएनए वाले बयान ने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है, हालांकि आसा बयान मोहन भागवत पहले भी दे चुके हैं, यही नहीं अन्य संघ नेताओं ने भी ऐसा बयान पहले दिया है, आपको बता दें कि भागवत ने एक किताब के विमोचन कार्यक्रम के दौरान कहा था कि भारत में रहने वाले सभी लोगों का डीएनए एक है, चाहे वो किसी भी धर्म के क्यों ना हों, उन्होने कहा कि हजारों साल पहले सभी के पूर्वज एक ही थे, चाहे अब उनकी पूजा पद्धति अलग-अलग हो, पूजा करने के अलग-अलग तरीकों के आधार पर उनके साथ भेदभाव नहीं किया जा सकता।

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साफगोई बनी परेशानी
मोहन भागवत के इस बयान के बाद उनकी साफगोई विरोधी दलों के लिये परेशानी बनती दिख रही है, इसके कई मायने निकाले जा रहे हैं, मोहन भागवत के इस कथन को यूपी समेत 5 राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों से जोड़ कर देखा जा रहा है, संघ विरोध के नाम पर अभी तक एक समुदाय विशेष का वोट बीजेपी के खिलाफ गिरता आया है, ऐसे में यदि हिंदू-मुस्लिम एकता को लेकर भागवत के इस बयान ने सियासी समीकरणों को हिलाने का काम किया है।

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बीजेपी ने कहा बयान बिल्कुल सही
मोहन भागवत के बयान में अपने सुर मिलाते हुए बीजेपी नेता भी इसे सही ठहरा रहे हैं, बीजेपी का कहना है कि संघ प्रमुख ने सही कहा है कि उसी तर्ज पर मोदी सरकार सबका साथ सबका विकास फॉर्मूले पर काम कर रही है, BJP Flags बीजेपी का दावा है कि मोदी सरकार की कई योजनाएं जैसे आवास योजना, स्किल डेवलपमेंट, या एक राष्ट्र एक राशन, सभी में बिना किसी भेदभाव के काम किया जा रहा है, वहीं संघ जानकारों का मानना है कि संघ प्रमुख के डीएनए वाले बयान को सभी समझ लें, तो देश तरक्की के रास्ते पर तो चलेगा ही, कई राजनीतिक दलों के अस्तित्व पर भी संकट मंडरा जाएगा।

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विरोधियों ने किया दुष्प्रचार
संघ के जानकारों का कहना है कि संघ के विरोधियों द्वारा लंबे समय से दुष्प्रचार किया जा रहा है, संघ के खिलाफ मुस्लिम समुदाय से नफरत की सोच एक सोची-समझी रणनीति के तहत भरी जा रही है, इसलिये संघ हमेशा अपने विरोधियों को कहता है कि हमें जानना है तो संघ के अंदर आकर देखो, और समझो, उनके मुताबिक संघ का मानना है कि हिंदुत्व का मतलब किसी धर्म विशेष के प्रति नफरत फैलाना नहीं है, बल्कि हर धर्म के लोगों में राष्ट्रवाद की अलख जगाने से है, इस सोच के साथ संघ के प्रति मुस्लिम समाज की सोच को बदलने के लिये संघ लगातार मुस्लिम समुदाय के बीच काम कर रहा है।