मोदी कैबिनेट विस्तार: जानें कौन हैं अनुप्रिया पटेल, मिर्जापुर से दिल्ली तक ऐसे पहुंची
अपना दल की अध्यक्ष और मिर्जापुर से सांसद अनुप्रिया पटेल मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में भी केंद्रीय मंत्री रह चुकी हैं । अब उनका नाम टॉप पर चल रहा है ।
New Delhi, Jul 07: मोदी सरकार के कैबिनेट विस्तार से पहले जमकर राजनीतिक उथल पुथल जारी है । किन नए चेहरों को जगह मिलेगी, इसे लेकर भी चर्चा का दौर तेज है । आने वाले साल में यूपी में विधानसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में यही माना जा रहा है कि मोदी कैबिनेट में यूपी से कई चेहरे शामिल होने वाले हैं । जिनमें वरुण गांधी का नाम भी है तो वहीं सबसे ज्यादा चर्चा भाजपा की सहयोगी अपना दल (सोनेलाल) की राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल को लेकर हो रही है ।
पिछली सरकार में बनीं थीं मंत्री
2014 के लोकसभा चुनाव में एनडीए की सदस्य अपना दल ने 2 सीटें हासिल की थीं । सरकार बनने पर, मोदी सरकार ने मिर्जापुर से सांसद अनुप्रिया पटेल को केंद्र में स्वास्थ्य राज्यमंत्री बनाया था, लेकिन जब 2019 में मोदी सरकार दोबारा सत्ता में आई तो अपना दल को केंद्रीय टीम से बाहर ही रखा गया । लेकिन अब मोदी सरकार के कैबिनेट विस्तार में अनुप्रिया पटेल का शामिल होना करीब-करीब तय माना जा रहा है । हालांकि इसके पीछे बड़ी वजह विधानसभा चुनाव ही माने जा रहे हैं ।
पिता की मौत के बाद बदली जिंदगी
अनुप्रिया पटेल का जन्म 28 अप्रैल 1981 को कानपुर शहर में हुआ है, वो दिल्ली के लेडी श्रीराम कॉलेज से पढ़ी हैं । इसके बाद एमिटी यूनिवर्सिटी से साइकोलजी में मास्टर की डिग्री हासिल की । अनुप्रिया, छत्रपति साहू जी महाराज यूनिवर्सिटी (कानपुर) से एमबीए भी की हैं । उनका शुरुआती जीवन राजनीति से दूर ही बीता, वह खुद भी कई बार ये कह चुकी हैं कि वह राजनीति में नहीं आना चाहती थीं । लेकिन 2009 में पिता सोनेलाल की हादसे में मौत के बाद उनका जीवन पूरी तरह से बदल गया । दरअसल अनुप्रिया पटेल के पिता सोनेलाल पटेल यूपी की सियासत में अपनी एक अलग पहचान रखते रहे हैं । वह बसपा के संस्थापकों में से एक रहे हैं । इसके बाद वो बसपा से अलग हो गए और अन्य पिछड़ा वर्ग को केंद्रित कर उन्होंने अपना दल बना लिया ।
पिता की मौत के बाद मां-बहन से अलगाव
पिता की मौत के बाद अनुप्रिया पटेल पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव के पद पर बैठीं, पार्टी उनकी मां कृष्णा पटेल संभालती रहीं । लेकिन अनुप्रिया जनता के बीच पहचान बनाने में कामयाब रहीं, हालांकि इसकी वजह से वो मां बहन से अलग हो गईं । साल 2012 के विधानसभा चुनाव में अनुप्रिया वाराणसी की रोहनिया विधानसभा से चुनाव जीतीं थीं, इसके दो साल बाद ही उनकी पार्टी ने बीजेपी से गठबंधन किया और 2014 में अनुप्रिया पटेल मिर्ज़ापुर से लोकसभा चुनाव जीत गईं । इतना ही नहीं अनुप्रिया को केंद्र की मोदी सरकार में मंत्री भी बनाया गया । वे 36 वर्ष की उम्र में सबसे युवा मंत्री बनीं ।
परिवार में बढ़ा तनाव
अनुप्रिया ने रोहनिया विधानसभा सीट छोड़ी, तो इस सीट पर चुनाव लड़ने के लिए अनुप्रिया के पति आशीष सिंह और मां कृष्णा पटेल आमने सामने आ गए । अंत में कृष्णा खुद रोहनिया से चुनाव लड़ीं, लेकिन वो ये हार गईं । इसके बाद मां और बेटी आमने-सामने हैं । उपचुनाव हारने के कुछ समय बाद ही कृष्णा पटेल ने अनुप्रिया पटेल और उनके कुछ सहयोगियों को पार्टी से बाहर कर दिया । पार्टी पर हक के लिए अब मां-बेटी कोर्ट में हैं, इस बीच अनुप्रिया पटेल ने 2016 में अपनी अलग पार्टी अपना दल (सोनेलाल) बना ली । अनुप्रिया के अपनी बहन पल्लवी से भी समय-समय पर टकराव होता रहा है । 2017 के विधानसभा चुनाव में पल्लवी पटेल ने कई कई बार मंच से अनुप्रिया पटेल पर निशाना साधा ।