सत्ता की लड़ाई में मां से ही भिड़ गई थी अनुप्रिया पटेल, हो गई पार्टी से बाहर, फिर ऐसे बदली किस्मत
अनुप्रिया पटेल ने पिता सोनेलाल पटेल की मौत के बाद राजनीति में कदम रखा, 2012 में अपना दल की ओर से वाराणसी की रोहनिया विधानसभा सीट से चुनाव लड़ी और जीत हासिल की।
New Delhi, Jul 09 : पीएम मोदी ने अपनी कैबिनेट का विस्तार किया और कई नये चेहरों को जगह दी, इसमें अपना दल की नेता और मिर्जापुर सांसद अनुप्रिया पटेल भी शामिल हैं, आपको बता दें कि अनुप्रिया 2014 में भी मोदी कैबिनेट का हिस्सा थीं, वो सबसे युवा मंत्रियों में शुमार थी, केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री की जिम्मेदारी संभाली थी, 2012 में सियासी करियर की शुरुआत करने वाली अनुप्रिया की राह काफी उथल-पुथल भरी रही है।
पिता की मौत के बाद राजनीति
अनुप्रिया पटेल ने पिता सोनेलाल पटेल की मौत के बाद राजनीति में कदम रखा, 2012 में अपना दल की ओर से वाराणसी की रोहनिया विधानसभा सीट से चुनाव लड़ी और जीत हासिल की, फिर 2014 लोकसभा चुनाव में एक बार फिर ताल ठोंकने लगी, इस बार मिर्जापुर सीट से चुनाव लड़ी और जीत हासिल की, चुनाव जीतने के बाद अनुप्रिया को मोदी सरकार में केन्द्रीय राज्य मंत्री के तौर पर जगह दी गई।
ऐसे शुरु हुई सियासी जंग
अनुप्रिया पटेल द्वारा वाराणसी की रोहनिया सीट छोड़ने के बाद से ही उनके परिवार में रस्साकस्सी तेज हो गई थी, अनुप्रिया के रोहनिया सीट छोड़ने के बाद वहां उपचुनाव हुए, अनुप्रिया चाहती थीं कि उनके पति वहां से चुनाव लड़े, लेकिन उनकी मां कृष्णा पटेल खुद ही इस सीट से चुनाव लड़ने उतर गई, जिससे मां-बेटी के रिश्ते तल्ख हो गये। इस रिश्ते में तल्खी और आ गई, जब कृष्णा पटेल ने अपनी सांसद बेटी को अनुशासनहीनता के आरोप में पार्टी से बाहर कर दिया, तब उन्होने कहा था कि हमने अनुशासनहीनता के आधार पर अनुप्रिया पटेल को पार्टी से बाहर करने का फैसला लिया है, जब से लोकसभा चुनाव के नतीजे आये हैं, उन्होने एक भी पार्टी मीटिंग में हिस्सा नहीं लिया है, ये निर्णय पार्टी की जिला, मंडल और राज्य स्तर समिति की संयुक्त बैठक में लिया गया है।
नई पार्टी
वहीं अनुप्रिया का दावा था कि उनकी मां के पास उन्हें पार्टी से निकालने का कोई उपयुक्त कारण नहीं है, अपना दल से निकलने के बाद अनुप्रिया पटेल ने 2016 में अपना दल (सोनेलाल) के नाम से पार्टी का गठन किया। 2018 में वो पार्टी की अध्यक्ष बन गई, वहीं दूसरी ओर उनकी मां कृष्णा पटेल ने पार्टी को अधिकार को लेकर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, कई विवादों के बाद कृष्णा पटेल ने अपना दल (कमेरावादी) नाम से अलग पार्टी बना ली। एक तरफ कृष्णा पटेल की पार्टी कुछ खास नहीं कर सकी, तो वहीं अनुप्रिया की पार्टी ने 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी के साथ गठबंधन कर चुनावी मैदान में उतरने का फैसला लिया, अनुप्रिया पटेल की पार्टी को बीजेपी ने 11 सीटें दी, जिसमें से 9 पर जीत हासिल की, राजनीति में कदम रखने से पहले अनुप्रिया पटेल एमिटी यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर रह चुकी हैं।