बीजेपी को अलविदा कहने की तैयारी में पंकजा मुंडे, जानिये कहां हो सकता है अगला ठिकाना?
पंकजा की छोटी बहन प्रीतम मुंडे को केन्द्र में मंत्री पद नहीं मिलने से नाराज उनके समर्थकों को पूरे महाराष्ट्र में इस्तीफों का दौर चल रहा है, मराठवाड़ा, अहमदनगर, पुणे, मुंबई में अब तक सैकड़ों कार्यकर्ता बीजेपी के पदों से इस्तीफा दे चुके हैं।
New Delhi, Jul 13 : महाराष्ट्र की पूर्व मंत्री और बीजेपी नेता पंकजा मुंडे मंगलवार शाम मुंबई में अपने समर्थकों के साथ एक अहम बैठक करने जा रही है, बैठक को इसलिये महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि उनके समर्थक पंकजा मुंडे पर बीजेपी छोड़ने का दबाव बना रहे हैं, बता दें कि अहमदनगर जिले में उनके समर्थकों ने तो बीजेपी से इस्तीफा देकर गोपीनाथ मुंडे पाथर्डी तालुका विकास मोर्चा बनाने का ऐलान भी कर दिया है, सोशल मीडिया पर मुंडे समर्थक दत्ता बडे की लिखी एक पोस्ट वायरल हो रही है।
लड़ना सीखो
इस पोस्ट में उन्होने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए लिखा है, अरे रो क्या रहे हो, लड़ना सीखो, स्वर्गीय गोपीनाथ मुंडे ने जीवनभर इसी चांडाल चौकड़ी से लड़ते हुए अपनी दुनिया रची थी, कहां तक चप्पल उठाओगे, आइये आत्मसम्मान के साथ हाथ मिलाएं, और गोपीनाथ मुंडे पाथर्डी तालुका विकास मोर्चा की स्थापना करें, हम इसके माध्यम से आने वाला हर चुनाव लड़ेंगे, मुंडे नाम में क्या ताकत है, ये बीजेपी को दिखा देंगे।
शिवसेना में जा सकती है
चर्चा ये भी है कि अगर कार्यकर्ताओं के दबाव में पंकजा बीजेपी छोड़ने का फैसला लेती है, तो वो या तो अलग पार्टी बनाएंगी, या फिर शिवसेना के साथ भी जा सकती है, हालांकि पंकजा ने अपने बयानों में ऐसा कोई संकेत नहीं दिया है। राजनीतिक विशलेषकों के मुताबिक गोपीनाथ और ठाकरे परिवार के रिश्ते हमेशा से घनिष्ट रहे हैं, एक्सीडेंट में हुई गोपीनाथ की मौत के बाद उनके अंतिम संस्कार के समय भी उद्धव ठाकरे ने पंकजा से वादा किया था, कि वो हर संकट में बड़ा भाई बनकर उनके साथ खड़े रहेंगे।
बीजेपी से इस्तीफों का दौर
पंकजा की छोटी बहन प्रीतम मुंडे को केन्द्र में मंत्री पद नहीं मिलने से नाराज उनके समर्थकों को पूरे महाराष्ट्र में इस्तीफों का दौर चल रहा है, मराठवाड़ा, अहमदनगर, पुणे, मुंबई में अब तक सैकड़ों कार्यकर्ता बीजेपी के पदों से इस्तीफा दे चुके हैं। मुंडे समर्थकों की नाराजगी इस बात को लेकर है, कि पहले प्रदेश की राजनीति में पंकजा को साइडलाइन किया गया, अब जब केन्द्र में मंत्री पद देने की बात आई, तो प्रीतम के बजाय डॉ. भागवत कराड को मंत्री बनाया गया, कराड को राजनीति में लाने और स्थापित करने का श्रेय गोपीनाथ मुंडे को ही जाता है।