रातों-रात बदल गई किस्मत, सड़क पर झाड़ू लगाने वाली सफाईकर्मी, 2 बच्चों की मां बनी SDM
आशा कंडारा की जिंदगी आसान नहीं रही है, 8 साल पहले पति से झगड़े के बाद 2 बच्चों के पालनपोषण की जिम्मेदारी भी आशा पर ही आ गई थी।
New Delhi, Jul 15 : चेहरे के चारों तरफ दुपट्टा बांधकर, हाथों में झाड़ू लिये जोधपुर की सड़कों पर सफाई करती इस महिला पर शायद ही किसी की नजर पड़ी है, लेकिन अब यही स्वीपर महिला एसडीएम बनने जा रही है, किस्मत पलटना शायद इसी को कहते हैं, अगर इंसान मन में हौसला रख ले, अपनी मंजिल की ओर बढता रहे, तो फिर उसे कोई नहीं रोक सकता।
कामयाबी की कहानी
जोधपुर नगर निगम में झाड़ू लगाने वाली महिला सफाईकर्मी आशा कंडारा ने ये कर दिखाया है, वो नगर निगम में झाड़ू लगाने के साथ ही खाली समय में किताबें लेकर बैठ जाती थी, सड़क किनारे, सीढियों पर जहां भी समय मिलता था, पढाई शुरु हो जाती थी, आज इन्हीं किताबों के जादू ने उनकी जिंदगी बदलकर रख दी है, राजस्थान प्रशासनिक सेवा में उनका चयन हो गया है, अब वो अनुसूचित वर्ग से एसडीएम के पद पर काबिज होंगी।
आसान नहीं रही जिंदगी
आशा कंडारा की जिंदगी आसान नहीं रही है, 8 साल पहले पति से झगड़े के बाद 2 बच्चों के पालनपोषण की जिम्मेदारी भी आशा पर ही आ गई थी, नगर निगम में झाड़ू लगाती थी, लेकिन सफाई कर्मचारी के रुप में नियमित नियुक्ति नहीं मिल पा रही थी, इसके लिये इसने दो सालों तक नगर निगम से लड़ाई लड़ी, लेकिन कुछ नहीं हुआ, लेकिन कहते हैं कि कभी-कभी खुशियां भी छप्पर फाड़ कर मिल जाती हैं, इसी तरह 12 दिन पहले आशा के साथ भी हुआ।
छप्पर फाड़ कर खुशी
जोधपुर नगर निगम की ओर से उनकी सफाई कर्मचारी के रुप में नियमित नियुक्ती हुई थी, अब उनका राज्य प्रशासनिक सेवा में भी चयन हो गया है, आशा ने कहा कि दिन में वो स्कूटी लेकर झाड़ू लगाने जाती थी, स्कूटी में ही किताबें रख लेती थी, काम करते हुए उन्होने पहले ग्रेजुएशन किया, फिर नगर निगम के अफसरों को देखकर अफसर बनने की भी ठान ली, इसी के बाद सिलेबस पता किया। फिर तैयारी शुरु कर दी, कठिन दिनचर्या के बीच ये मुश्किल तो बहुत था, लेकिन हालातों के सामने कभी हार नहीं मानी, तैयारी में जुटी रही, आज उन्हें अपना वो मुकाम मिल गया है, जिसका सिर्फ सपना ही देखा था।