पासवान की दूसरी पत्नी को रहती थी एक चिंता, दिल्ली में है मायका लेकिन एक रात भी वहां नहीं रुकीं

राम विलास पास अपनी दूसरी पत्‍नी को दिलो जान से चाहते थे, एक इंटरव्‍यू में उन्‍होंने एक बड़ा राज खोला था ।

New Delhi, Jul 17: लोक जनशक्ति पार्टी के संस्‍थापक रामविलास पासवान अब इस दुनिया में नही हैं, लेकिन उनसे जुड़ी कइ र्बातें हैं जो अकसर चर्चा में आ ही जाती हैं, खास तौर पर उनकी निजी जिंदगी से जुड़ी बातें । पासवान की उम्र जब करीब 8 साल थी तभी उनकी ग्रामीण परिवेश से ताल्लुक रखने वालीं राजकुमारी देवी से शादी करा दी गई थी । लेकिन पासवान ज्‍यादा वक्त शहर में ही रहते थे तो राजकुमारी देवी से उनका सामंजस्‍य नहीं बैठा । इसके बाद उनके जीवन में हुई उस महिला की एंट्री जो बाद में उनकी दूसरी पत्‍नी बनीं ।

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1977 में पहली बार मुलाकात
साल 1977 में जब पासवान पहली बार बिहार के हाजीपुर से रिकॉर्ड वोट paswan family से लोकसभा चुनाव जीतकर दिल्ली पहुंचे तो उनकी मुलाकात वाणिज्य मंत्रालय में डिप्टी डायरेक्टर के पद पर कार्यरत गुरबचन सिंह से हुई। इसी दौरान वो उनकी बेटी अविनाश कौर के संपर्क में भी आए। पासवान और अविनाश कौर की नजदीकियां इतनी बढ़ीं कि दोनों ने शादी का फैसला कर लिया। शादी के बाद अविनाश कौर ने अपना नाम बदलकर रीना पासवान रख लिया।

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जीवनी में दिलचस्‍प किस्‍सों का हुआ खुलासा
पेंग्विन प्रकाशन की ओर से हाल ही में पासवान की जीवनी ‘रामविलास पासवान: संकल्प, साहस और संघर्ष’ को लॉन्‍च किया गया है, जिसमें प्रदीप श्रीवास्तव ने लोजपा के दिवंगत नेता के निजी जीवन से जुड़े तमाम किस्सों को दिलचस्प अंदाज में पेश किया है। उनमें से कई किस्‍से ये जाहिर करते हैं कि पासवान रीना से बेइंतहा प्‍यार करते थे और रीना के लिए तो वो सब कुछ थे ।

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मायके में एक रात नहीं रुकीं रीना
रामविलास पासवान अपनी दूसरी पत्नी प्यार से ‘बीके’ बुलाते थे । वो कहते थे कि मुझे याद नहीं कि एक दिन भी ऐसा बीता हो जब बीके से मेरी बात नहीं हुई हो। अगर कहीं अकेले बाहर जाना हुआ तो सुबह और शाम कम से reena paswanकम 2 बार तो फोन पर बात हो ही जाती है। या तो ये फोन कर लेती हैं या मैं ही मिलवा लेता हूं। इस जीवनी में बताया गया है कि रीना का मायका दिल्ली में ही है। बावजूद इसके दोनों दिल्ली में वो कभी अलग नहीं रहे। अगर रीना कभी अपने मायके गईं तो उसी दिन वापस आ जाती थीं। कभी रात नहीं रुकीं। क्योंकि उन्हें पासवान की चिंता लगी रहती थी।