New Delhi, Jul 25 : मेहनत कभी बेकार नहीं जाता, ये रमेश घोलप ने सिद्ध किया है, एक चूड़ी विक्रेता जो सभी बाधाओं को पार करते हुए एक आईएएस अधिकारी बन गया, रमेश के पिता गोरख घोलप साइकिल रिपेयरिंग का दुकान चलाते थे, 4 सदस्यों के इस परिवार का पालन-पोषण बड़ी मुश्किल हो पाता था, हालांकि कुछ ही दिनों बाद उनके पिता की तबीयत खराब हो गई, व्यापार में काफी नुकसान होने लगा।
मां बेचती थी चूड़ियां
जिसके बाद रमेश घोलप की मां आस-पास के गांवों में जाकर चूड़ियां बेचने लगी,
चाचा के घर रहकर पढाई
बाद में रमेश आगे की पढाई के लिये अपने चाचा के साथ बर्शी चले गये, पढाई के प्रति उनकी मेहनत ने स्कूल में उन्हें शिक्षकों का प्रिय बना दिया, 2005 में जब वो बारहवीं की परीक्षा दे रहे थे, उसी समय उन्हें पिता के निधन की खबर मिली,
शिक्षक की नौकरी
रमेश घोलप ने डीएड किया, ताकि वो टीचर बन सके, अपने परिवार की आर्थिक स्थिति सुधार सके, साल 2009 में बतौर शिक्षक काम भी करने लगे थे, लेकिन टीचर की नौकरी करते हुए उन्होने यूपीएससी की तैयारी का मन बनाया।
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