किसान के बेटे ने टोक्यो में रचा इतिहास, पहले ही मैच में कर दिया कमाल

वैसे तो पंजाब में हॉकी खेलने का चलन काफी पुराना है, यही वजह है कि मौजूदा हॉकी टीम में ज्यादातर खिलाड़ी पंजाब से ही हैं, इन्हीं में एक सिमरनजीत और उनके भाई गुरजंट सिंह हैं, दोनों भाई भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व करते हैं।

New Delhi, Jul 27 : भारत के लिये टोक्यो ओलंपिक के 5वें दिन हॉकी में शानदार रहा, भारतीय हॉकी टीम ने स्पेन को पूल ए के मैच में करारी शिकस्त दी, मैच को 3-0 से जीता, भारत की ओर से रुपिंदर सिंह ने 2 और अपने करियर का पहला ओलंपिक मैच खेल रहे सिमरनजीत सिंह ने एक गोल दागा, पंजाब के रहने वाले सिमरनजीत का ओलंपिक में खेलने का सपना इतनी आसानी से पूरा नहीं हुआ, जब उनके पिता खेल में हल चलाते थे, तो उन्होने हॉकी स्टिक थामे देश का नाम रोशन करने का सपना देखा, और आज उसे पूरा भी किया। आइये आज आपको बताते हैं इस खिलाड़ी के बारे में

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8 साल की उम्र से हॉकी शुरु
अकसर उन लोगों की कहानी इतिहास बन जाती है, जो अपने सपनों को पूरा करते हैं, कुछ ऐसी ही कहानी ओलंपिक में हॉकी टीम के खिलाड़ी सिमरनजीत सिंह का है, जिन्होने 8 साल की उम्र से ही हॉकी खेलना शुरु कर दिया था। सिमरनजीत के ट्रेनर कहते हैं कि वो सुबह-शाम बिना छुट्टी के प्रैक्टिस करते हैं, गर्मी, सर्दी या फिर बरसात, प्रैक्टिस कभी नहीं छोड़ी, वो जब भी खेलते हैं, तो कभी अंडरप्रेशर नहीं होते।

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स्पेन के खिलाफ
कुछ ऐसा ही खेल उन्होने मंगलवार को टोक्यो ओलंपिक में स्पेन के खिलाफ मैच में भी करके दिखाया, सिमरनजीत ने 15वें मिनट में अपनी टीम के लिये एक शानदार गोल दागा, स्पेन के खिलाफ 2-0 से बढत दिलाई, इसके बाद 51वें मिनट पर रुपिंदर सिंह ने एक और गोल से भारतीय टीम 3-0 से ये मुकाबला जीत गई।

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दोनों भाई हॉकी खेलते हैं
वैसे तो पंजाब में हॉकी खेलने का चलन काफी पुराना है, यही वजह है कि मौजूदा हॉकी टीम में ज्यादातर खिलाड़ी पंजाब से ही हैं, इन्हीं में एक सिमरनजीत और उनके भाई गुरजंट सिंह हैं, दोनों भाई भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व करते हैं। बटाला के गांव चाहल कलां के एक परिवार में पैदा हुए सिमरनजीत का हॉकी खेलने का सपना इतनी आसानी से पूरा नहीं हुआ, उनके पिता इकबाल सिंह खेतीबाड़ी किया करते थे, मां मनजीत कौर घर संभालती थीं। सिमरनजीत जब 8 साल के थे, तो उन्होने गांव के मैदान पर हॉकी खेलना शुरु किया, जब उनके पिता ने उन्हें हॉकी खेलते देखा, तो पैसों की परवाह किये बिना बेटे को ट्रेनिंग के लिये शाहबाद हॉकी स्टेडियम भेजा, इसके बाद चीमा एकेडमी में उन्होने प्रैक्टिस की, इस दौरान उनका चयन सुरजीत हॉकी एकेडमी जालंधर में हो गया था। फिर कड़ी मेहनत के दम पर उनहोने 2016 जूनियर विश्वकप में जगह बनाई, जहां बेल्जियम के सामने खेलते हुए चैंपियनशिप में फाइनल मैच में 2-1 से भारत को जीत दिलाने में मदद की। लगातार बेहतरीन खेल को देखते हुआ इस साल उनका चयन ओलंपिक 2020 के लिये हुआ, अब उन्होने पहले ही मैच में सबका ध्यान खींचा है।