10 की उम्र में थाम ली थी हॉकी स्टिक, अब कप्तानी में रचा इतिहास, मां बोलीं-अगला मेडल गोल्ड
भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने आज इतिहास रचते हुए ओलंपिक में कांस्य पदक जीत लिया है । मनप्रीत सिंह की कप्तानी में गुरुवार को खेले गए ब्रॉन्ज मेडल मैच में भारत ने जर्मनी को 5-4 से हरा दिया ।
New Delhi, Aug 05: भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने आज ओलंपिक में देश के नाम कांस्य पदक जीत लिया । मनप्रीत सिंह की कप्तानी में टीम ने शानदार प्रदर्शन करते हुए जर्मनी को 5-4 से हरा दिया । इसी के साथ टीम इंडिया 41 साल बाद ओलंपिक में कोई पदक जीतने में कामयाब रही । इससे पहले भारत को आखिरी पदक 1980 में मॉस्को में मिला था, उस समय वासुदेवन भास्करन की कप्तानी में टीम ने गोल्ड मेडल हासिल किया था । तब से अब तक भारतीय हॉकी टीम पदक के लिए जी तोड़ मेहनत करती रही है । 1984 में हुए लॉस एंजेलिस ओलंपिक में टीम पांचवें स्थान पर आई थी ।
हॉकी खिलाडि़यों के घर खुशी की लहर
चार दशक बाद पदक जीतने की खुशी भारतीय पुरुष हॉकी टीम के खिलाडि़यों के घर में ही नहीं पूरे देश में देखी जा सकती है । 41 साल बाद कांस्य पदक जीतना और सेमीफाइनल तक पहुंचा, ये टीम को स्वर्ण पदक के करीब ही लेकर आता है । मीडिया की टीमें इन हॉकी खिलाडि़यों के घर पहुंची हुई हैं, परिवार बेटों पर नाज कर रहे हैं, देश को गौरव बढ़ाने वाले सपूतों के स्वागत की तैयारियां चल रही हैं । मनप्रीत सिंह की मां भी बेटे की जीत से बहुत खुश हैं, उन्होंने कहा कि अब तो घर में अगेल कुछ दिनों तक जश्न होगा । बेटा अब अगला मेडल गोल्ड ही लाएगा ।
मनप्रीत सिंह का शानदार सफर
बात करें विजयी टीम के कप्तान मनप्रीत सिंह की तो वो जब 10 साल के थे तभी हॉकी स्टिक थाम ली थी । इस साल अपना तीसरा ओलंपिक खेल रहे मनप्रीत टोक्यो में भारतीय दल के ध्वजवाहक भी रहे हैं । मनप्रीत सिंह को 2017 में ही भारतीय टीम का कप्तान बनाया गया है । जिसके बाद से टीम नई बुलंदियों को छू रही है । उनकी कप्तानी में भारतीय टीम एशिया कप और एशियन चैम्पियंस ट्रॉफी में गोल्ड, चैम्पियंस ट्रॉफी में सिल्वर और 2018 एशियन गेम्स में कांस्य पदक जीत चुकी है । इसके साथ ही, 2019 में अंतरराष्ट्रीय हॉकी महासंघ (FIH) ने मनप्रीत को ‘प्लेयर ऑफ द ईयर’ घोषित किया था।
परगट सिंह से मिली प्रेरणा
टीम में हाफ बैक पॉजिशन पर खेलने वाले 29 साल के मनप्रीत सिंह को हॉकी खेलने की प्रेरणा पूर्व कप्तान परगट सिंह से मिली । परगट सिंह, उनके पैतृक गांव मीठापुर (जालंधर) के रहने वाले हैं । 2011 में मनप्रीत को भारतीय जूनियर टीम से खेलने का पहला मौका मिला, इसके बाद साल 2013 में वो जूनियर हॉकी टीम के कैप्टन चुन लिए गए । मनप्रीत की कप्तानी में उस साल भारतीय जूनियर टीम ने पहली बार सुलतान जोहोर कप का खिताब अपने नाम किया था । 2014 में मनप्रीत को एशियन हॉकी फेडरेशन ने जूनियर प्लेयर ऑफ द ईयर के अवॉर्ड से नवाजा । इसी साल, भारतीय सीनियर टीम ने पाकिस्तान को मात देकर एशियन गेम्स में स्वर्ण पदक जीता था । इसके बाद 2016 में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स और फिर इसी साल हुई चैम्पियंस ट्रॉफी में भी भारतीय टीम रजत पदक जीतने में सफल रही । टीम की इन सफलताओं में मनप्रीत सिंह ने अहम रोल अदा किया था. ।