चाहकर भी ‘गोल्डन ब्वॉय’ नीरज चोपड़ा को कमीशंड ऑफिसर नहीं बना सकती सेना, बड़ी वजह आई सामने
ओलंपिक के इतिहास में देश को एथलेटिक्स का पहला गोल्ड मेडल दिलाने वाले नीरज चोपड़ा पर भारतीय सेना भी गदगद है, लेकिन वो चाहकर भी उन्हें कमीशंड अफसर का पद नहीं दे सकती है ।
New Delhi, Aug 11: टोक्यो ओलिंपिक में गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रचने वाले नीरज चोपड़ा पर पूरे देश को गर्व है । नीरज भारतीय सेना में सूबेदार के पद पर तैनात थे, लेकिन अब उनकी जीत के बाद सेना उन्हें बड़ा पद देना चाहती है लेकिन वो चाहकर भी नीरज चोपड़ा को कमीशंड ऑफिसर के तौर पर पर प्रमोट नहीं कर पा रही है । इसकी एक बड़ी वजह है, आगे जानें विस्तार से ।
देनी पड़ती है परीक्षा
दरअसल सेना में जेसीओ रैंक के अधिकारियों को कमीशंड ऑफिसर बनने के लिए लिखित परीक्षा और इंटरव्यू देना जरूरी होता है । इसी वजह से सूबेदार नीरज चोपड़ा को सेना में फिलहाल सूबेदार मेजर या फिर मानद ऑनरेरी मेजर के तौर पर प्रमोशन देने का ही विकल्प बचता है। जैवलिन थ्रो में चैंपियन बने नीरज इन दोनों में से जो भी पद चाहेंगे भारती सेना खुशी-खुशी उन्हें मनचाही पदोन्नति दे देगी।
खबरों पर दी सफाई
दरअसल ओलंपिक इतिहास में देश को एथलेटिक्स का पहला स्वर्ण पदक दिलाने वाले नीरज चोपड़ा की इस उपलब्धि के बाद उन्हें सीधे कमीशंड अधिकारी बनाए जाने की चर्चाएं तेजी थी । इसी पर सैन्य सूत्रों की ओर से बताया गया है कि वो चाहकर भी ऐसा नहीं कर सकते हैं । सेना में अधिकारी को राष्ट्रपति की ओर से कमीशन प्रदान किया जाता है। जिसके लिए अनिवार्य प्रक्रियाएं हैं, और उन्हें बाइपास करना संभव नहीं है।
जेसीओ रैंक में हैं नीरज चोपड़ा
नीरज चोपड़ा वर्तमान में भारतीय सेना में जेसीओ रैंक पर ही हैं, कमीशंड अधिकारी बनने के लिए उन्हें लिखित परीक्षा और इंटरव्यू से गुजरना होगा । हालांकि ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता की निगाहें तो अब आने वाली प्रतियोगिताओं पर टिकी हैं । ऐसे में सेना का कमीशन हासिल करने के लिए शायद ही वक्त मिले । सैन्य सूत्रों के अनुसार नीरज अगर सूबेदार मेजर बनते हैं तो वो चार साल बाद ही रिटायर हो जाएंगे और यदि वे मानद रूप से मेजर की पदोन्नति का विकल्प चुनते हैं तो नियमों के अनुसार उन्हें एक साल के भीतर ही रिटायर होना पड़ेगा। आपको बता दें क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी सेना में मानद लेफ्टिनेंट कर्नल रैंक पर हैं तो वहीं भारतीय वायुसेना ने क्रिकेट जगत के हीरो सचिन तेंदुलकर की उपलब्धियों के लिए मानद ग्रुप कैप्टन के रूप में उन्हें वायुसेना का हिस्सा बनाया था।