तालिबान से सीधी टक्कर ले रही ये महिला, खड़ी कर दी खुद की फौज

सलीमा ने अपनी फौज में 600 लोगों को शामिल किया है, घूम-घूम कर अपने इलाके में लोगों से अपनी फौज में शामिल होने की अपील कर रही है, वो सभी को वास्ता देती है कि आतंक राज से खुद को और मुल्क को बचाना जरुरी है।

New Delhi, Aug 13 : अफगानिस्तान में तालिबान ने दहशत फैला रखी है, लोग खौफजदा हैं, इंसानियत लगातार शर्मसार हो रही है, हिंसक कार्रवाई कर रहा तालिबान अफगानिस्तान के कई इलाकों पर कब्जा जमा चुका है, अफगान आर्मी कई मोर्चों पर फेल हो रही है, सरकार भी ज्यादा कुछ नहीं कर पा रही है, लेकिन इस बीच एक महिला ने तालिबान को सीधी टक्कर दी है, जिसने अपने दम पर तालिबानियों के मन में दहशत पैदा कर दी है।

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अकेले लड़ने वाली क्रांतिकारी महिला
अफगानिस्तान की इस क्रांतिकारी महिला का नाम सलीमा मजारी है, जो चारकिंट जिले की लेडी गवर्नर हैं, जिस पर अफगानिस्तान में महिलाओं के हक को लेकर लड़ाई चल रही है, तब सलीमा अपने दम पर अपने इलाके के लोगों की ढाल बनी हुई है, उन्होने अपनी खुद की एक ऐसी फौज खड़ी कर ली है, जिस पर तालिबान पर हमला करने से पहले हजार बार सोच रहा है।

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अपनी फौज
सलीमा ने अपनी फौज में 600 लोगों को शामिल किया है, घूम-घूम कर अपने इलाके में लोगों से अपनी फौज में शामिल होने की अपील कर रही है, वो सभी को वास्ता देती है कि आतंक राज से खुद को और मुल्क को बचाना जरुरी है, उनकी ये अपील ऐसी रहती है कि लोग सबकुछ छोड़कर उनके पीछे लग जाते हैं, सब साथ मिलर तालिबान और उसकी हिंसक सोच से मिलकर लड़ते हैं। फिलहाल उनकी फौज में 600 से ज्यादा जांबाज शामिल है, जो हर पल अपने इलाके की निगरानी के लिये जिले की सरहद पर तैनात रहते हैं, धीरे-धीरे ये आंकड़ा लगातार बढता ही जा रही है, इन लोगों में ज्यादातर वो हैं, जो पेशेवर फौजी नहीं बल्कि आम कामगार हैं।

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कौन हैं सलीमा मजारी
अफगान मूल की सलीमा मजारी का जन्म 1980 में एक रिफ्यूजी के तौर पर ईरान में हुआ, वो ईरान में ही पली बढी, तेहरान यूनिवर्सिटी से पढाई पूरी की, अपने पति तथा बच्चों के साथ सलीमा ईरान में ही सेटल हो सकती थी, लेकिन गैर मुल्क में अपनी आगे की जिंदगी गुजराने की जगह अफगानिस्तान में आकर काम करने का फैसला लिया, वो यहां बल्ख सूबे की चारकिंट की गवर्नर चुनी गई।