कहीं आपको भी तो नहीं लगाई जा रही नकली वैक्सीन?, केन्द्र सरकार ने बताया कैसे करें पहचान

अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी फर्जी टीकों के पहुंचने की खबर मिलने के बाद केन्द्र सरकार ने सभी राज्यों को कई ऐसे मानक की जानकारी दी है, जिससे पता लगाया जा सकेगा कि वैक्सीन असली है या नकली।

New Delhi, Sep 05 : कोरोना के बढते मामलों के बीच कोरोना वैक्सीन को सबसे बेहतर सुरक्षा उपायों में से एक माना जा रहा है, यही वजह है कि कोरोना की तीसरी लहर आने से पहले ज्यादा से ज्यादा लोगों को कोरोना वैक्सीन दिये जाने की बात कही जा रही है, एक तरफ जहां कोरोना वैक्सीन प्रोग्राम को तेज करने की बात कही जा रही है, तो वहीं दूसरी तरफ अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी फर्जी टीकों के कारोबार का खुलासा हुआ है, हाल ही में दक्षिण पूर्वी एशिया और अफ्रीका में नकली वैक्सीन पाई गई है, जिसके बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सभी देशों को फर्जी टीके को लेकर सचेत किया है।

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वैक्सीन असली या नकली
अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी फर्जी टीकों के पहुंचने की खबर मिलने के बाद केन्द्र सरकार ने सभी राज्यों को कई ऐसे मानक की जानकारी दी है, जिससे पता लगाया जा सकेगा कि वैक्सीन असली है या नकली, केन्द्र ने इस संबंध में सभी प्रदेश सरकारों को एक लेटर भी लिखा है, लेटर के जरिये राज्यों को कोवैक्सीन, कोविशील्ड, और स्पूतनिक-वी कोरोना वैक्सीन के बारे में कई तरह की जानकारी दी गई है। सरकार ने जो जानकारी दी है, उससे आसानी से पता लगाया जा सकेगा कि वैक्सीन असली है या नकली।

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3 वैक्सीन
आपको बता दें कि देश में इस समय 3 कोरोना वैक्सीन ही लगाई जा रही है, कोविशील्ड, कोवैक्सीन और स्पूतनिक वी तीनों वैक्सीन के लेबल, उसके कलर, ब्रांड का नाम आदि से नकली और असली वैक्सीन की पहचान की जा सकती है।
कोविशील्ड
एसआईआई का प्रोडक्ट लेबल गहरे हरे रंग में होगा।
ब्रांड का नाम ट्रेड मार्क के साथ कोविशील्ड लिखा दिखाई देगा
इसके ऊपर CGS NOT FOR SALE भी लिखा होगा।

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कोवैक्सीन
लेबल पर अदृश्य UV हेलिक्स लगा है, इस लेबल को सिर्फ यूवी लाइट में ही देखा जा सकता है।
लेबल क्लेम डॉट्स के बीच छोटे अक्षरों में कोवैक्सीन लिखा है।
कोवैक्सीन में एक्स दो रंगों में दिखाई पड़ता है, इसे ग्रीन फॉयल इफेक्ट कहते हैं।
स्पूतनिक –वी
स्पूतनिक –वी वैक्सीन रुस में मौजूद दो प्लांट में तैयार की गई है, ऐसे में दोनों के लेबल अलग-अलग है, हालांकि दोनों में जानकारी एक जैसी ही है, बस मैन्युफैक्चरर का फर्क है।
रुस में अभी तक जितनी भी वैक्सीन भेजी गई है, उसमें से सिर्फ 5 एमपूल के पैकेट पर ही इंगलिश में लेबल लिखा है, इसके अलावा सभी पैकेटों में रुसी में लिखा है।