झारखंड से सबक लेकर बीजेपी कर रही विधानसभा चुनावों की प्लानिंग? जानिये Inside Story
झारखंड विधानसभा चुनाव के करीब आते-आते रघुबर दास सीएम के तौर पर बेहद ही अलोकप्रिय हो चुके थे, चुनाव से पहले उन्हें पद से हटाने की भी मांग उठी थी, लेकिन उसे तवज्जो नहीं दी गई थी।
New Delhi, Sep 14 : बीजेपी विधानसभा चुनावों से पहले तीन राज्यों के मुख्यमंत्रियों को हटाकर दूसरे वरिष्ठ नेता को प्रदेश की कमान सौंप चुकी है, राजनीति में आमतौर पर चुनाव से कुछ महीने पहले सीएम को बदलने से संबंधित पार्टी का शीर्ष नेतृत्व कतराता है, लेकिन हाल के दिनों में बीजेपी के लिये ये कदम खास रणनीति बन चुका है, बीजेपी नेतृत्व ने उत्तराखंड के बाद कर्नाटक और अब गुजरुत के मुख्यमंत्री को भी बदल दिया है, ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर बीजेपी ऐसा क्यों कर रही है, इसका जवाब झारखंड विधानसभा चुनाव में मिला सबक तो नहीं है, तमाम कोशिशों के बावजूद बीजेपी को यहां हार मिली थी।
झारखंड चुनाव
झारखंड विधानसभा चुनाव के करीब आते-आते रघुबर दास सीएम के तौर पर बेहद ही अलोकप्रिय हो चुके थे, चुनाव से पहले उन्हें पद से हटाने की भी मांग उठी थी, लेकिन उसे तवज्जो नहीं दी गई थी, परिणामस्वरुप पार्टी को चुनाव में हार का सामना करना पड़ा, हेमंत सोरेन की अगुवाई में गठबंधन सत्ता में वापसी की, बीजेपी के वरिष्ठ नेता बताते हैं कि झारखंड से मिले इस चुनावी सबक से सीख लेते हुए पार्टी इस साल 5 मुख्यमंत्री को बदल चुकी है, गुजरात के पूर्व सीएम विजय रुपाणी को पद से हटाना भी इसी रणनीति का हिस्सा बताया जा रहा है, झारखंड चुनाव के बाद पार्टी आलाकमान की सोच है कि नुकसान से पहले ही डैमेज कंट्रोल कर लिया जाए।
हरियाणा में लगा था झटका
हरियाणा बीजेपी का कामकाज देखने वाले एक नेता ने सीएम मनोहर लाल खट्टर का भी उदाहरण दिया, उन्होने बताया कि अक्टूबर 2019 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी को हरियाणा में पूर्ण बहुमत नहीं मिला, गठबंधन करके सरकार बनानी पड़ी, इस नेता ने बताया कि मनोहर लाल खट्टर की छवि से पार्टी को नुकसान होने की संभावना थी, इसके बावजूद उनके चेहरे पर ही चुनाव लड़ा गया, बता दें कि खट्टर देशभर में बीजेपी के सबसे बुजुर्ग सीएम हैं। सूत्र बताते हैं कि झारखंड विधानसभा चुनाव में हार तथा हरियाणा की स्थिति को देखते हुए बीजेपी आलाकमान ये सोचने पर मजबूर हुआ, कि अलोकप्रिय और नॉन परफॉर्मिंग सीएम को पद से हटाना होगा, बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि सीएम को ताबड़तोड़ बदलने के कारण होने वाली आलोचना को झेलने के लिये पार्टी तैयार है, लेकिन चुनाव हारना मंजूर नहीं है।
हरियाणा, एमपी और हिमाचल को लेकर भी चर्चाएं
अब सवाल ये उठता है कि क्या बीजेपी इस ट्रेंड को जारी रखेगी, दरअसल हरियाणा, एमपी और हिमाचल को लेकर भी राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का दौर शुरु हो चुका है, हिमाचल में गुजरात के साथ ही 2022 के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं, वहीं एमपी में 2023 के आखिर में चुनाव होंगे, उत्तराखंड में त्रिवेन्द्र रावत और असम में सर्बानंद सोनोवाल को भी इसी रणनीति के तहत किनारे किया गया।