IIT या IIM में होते वेंकटेश अय्यर, जानिये फिर कैसे बन गये क्रिकेटर, दिलचस्प है किस्सा

जीत के बाद इस युवा बल्लेबाज ने कहा कि मैं होनहार छात्र था, आमतौर पर ये दूसरा रास्ता है, खासकर दक्षिण भारतीय परिवार में, जहां माता-पिता अपने बच्चों को पढाई पर फोकस करने के लिये कहते हैं।

New Delhi, Sep 21 : विराट कोहली की आरसीबी के खिलाफ अपने डेब्यू मुकाबले में ही प्रभावित करने वाले सलामी बल्लेबाज वेंकटेश अय्यर अगर क्रिकेटर नहीं होते, तो आईआईटी या आईआईएम में होते, आईपीएल 2021 के 31वें मैच में आरसीबी के दिये 93 रन के लक्ष्य को केकेआर ने शुभमन गिल और अय्यर की बदौलत 60 गेंद पहले ही 1 विकेट के नुकसान पर हासिल कर लिया, वेंकटेश अय्यर ने अपने डेब्यू मैच में 27 गेंदों में 41 रनों की नाबाद पारी खेली।

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होनहार छात्र
जीत के बाद इस युवा बल्लेबाज ने कहा कि मैं होनहार छात्र था, आमतौर पर ये दूसरा रास्ता है, खासकर दक्षिण भारतीय परिवार में, जहां माता-पिता अपने बच्चों को पढाई पर फोकस करने के लिये कहते हैं, लेकिन मेरे मामले में मेरी मां ने मुझे क्रिकेट खेलने के लिये प्रेरित किया।

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मां ने प्रेरित किया
एमपी के लिये घरेलू क्रिकेट में ओपनिंग करने वाले 26 साल के अय्यर ने बाकी बच्चों की ही तरह बल्ला हाथ में थामा था, क्रिकइंफो से इस खिलाड़ी ने बात करते हुए कहा कि ईमानदारी से मैंने क्रिकेट तब खेलना शुरु किया, cricket news3 जब मेरी मां अकसर मुझे घर के अंदर किताबों से घिरे रहने के बजाय बाहर जाकर खेलने के लिये कहती थी, अय्यर ने चार्टर्ड अकाउंटेसी के साथ बीकॉम डिग्री में एडमिशन लिया था, अय्यर ने 2016 में 12वीं परीक्षा में टॉप किया था। उस समय उन्हें सीए और क्रिकेट में से किसी एक को चुनना था, क्योंकि सीए फाइनल में बैठने का मतलब था कि क्रिकेट को छोड़ना या फिर कुछ समय के लिये उससे दूर होना।

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फाइनेंस से एमबीए करने का फैसला
वो पहले ही एमपी सीनियर टीम की ओर से टी-20 और वनडे क्रिकेट में डेब्यू कर चुके थे, अंडर 23 के कप्तान भी थे, इस खिलाड़ी ने कहा इसके बाद मैंने सीए छोड़कर फाइनेंस से एमबीए का फैसला लिया, मैंने काफी एंट्रेस एग्जाम दिये, अच्छे अंक हासिल किये, एक अच्छे कॉलेज में एडमिशन लिया, मैं भाग्यशाली था कि फैकल्टी को क्रिकेट पसंद था, उन्होने देखा कि मैं अच्छा खेल रहा हूं, उन्होने नोट्स, उपस्थिति समेत काफी चीजों में छूट दी। ईमानदारी से कहूं, तो दोनों को मैनेज करने के लिये मुझे ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ी, मैं हमेशा से एक होनहार छात्र रहा हूं, मैं यही बात क्रिकेट के लिये नहीं कह सकता, अगर क्रिकेट नहीं होता, तो मैं आईआईटी या आईआईएम में होता। अय्यर को 2018 में बंगलुरु में नौकरी भी मिली थी, लेकिन क्रिकेट के लिये उन्होने नौकरी का ऑफर ठुकरा दिया।