भाग्य बदलने के लिये जरुर करें ये उपाय, चमक उठेगी किस्मत, हनुमान जी की बरसेगी कृपा

हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिये रोजाना हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिये, भगवान श्रीराम और माता सीता के नाम का सुमिरन करना चाहिये।

New Delhi, Oct 22 : बजरंग बली की कृपा से इंसान का भाग्य बदल जाता है, हर व्यक्ति को रोजाना नियम से हनुमान जी की पूजा-अर्चना करनी चाहिये, हनुमान जी भगवान श्रीराम के परमभक्त हैं, कलयुग में हनुमान जी जागृत देव हैं, हनुमान जी की असीम कृपा से व्यक्ति को सभी तरह के सुखों का अनुभव होता है, हनुमान जी की कृपा से व्यक्ति का सोया भाग्य भी जाग सकता है, हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिये रोजाना हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिये, भगवान श्रीराम और माता सीता के नाम का सुमिरन करना चाहिये।

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श्री हनुमान चालीसा
श्रीगुरु चरण सरोज रज
निजमनु मुकुरु सुधारि
बरनउँ रघुबर बिमल जसु
जो दायकु फल चारि
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन कुमार
बल बुद्धि, विद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार…
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर
जय कपीस तिहुँ लोक उजागर
रामदूत अतुलित बल धामा
अंजनि पुत्र पवनसुत नामा।।

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महाबीर बिक्रम बजरंगी
कुमति निवार सुमति के संगी
कंचन बरन बिराज सुबेसा
कानन कुंडल कुंचित केसा।।
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजे
कांधे मूंज जनेऊ साजे
शंकर सुवन केसरी नंदन
तेज प्रताप महाजग वंदन।।
बिद्यावान गुनी अति चातुर
राम काज करिबे को आतुर
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया
राम लखन सीता मन बसिया।।
सूक्ष्म रुप धरि सियहिं दिखावा
बिकट रुप धरि लंक जरावा
भीम रुप धरि असुर सँहारे
रामचंद्र के काज संवारे
लाय सजीवन लखन जियाये
श्री रघुबीर हरषि उर लाये
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई
तुम मम प्रिय भरत सम भाई।।

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सहस बदन तुम्हरो जस गावैं
अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा
नारद सारद सहित अहीसा।।
जम कुबेर दिगपाल जहां ते
कबि कोबिद कहि सके कहां ते
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा
राम मिलाय राज पद दीन्हा।।
तुम्हरो मंत्र बिभीषण माना
लंकेश्वर भए सब जग जाना
जुग सहस्त्र जोजन पर भानु
लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं
जलधि लॉघि गये अचरज नहीं
दुर्गम काज जगत के जेते
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।।
राम दुआरे तुम रखवारे
होत ना आज्ञा बिनु पैसारे
सब सुख लहै तुम्हारी सरना
तुम रच्छक काहू को डर ना।।

आपन तेज सम्हारो आपै
तीनों लोक हांक तें कांपें
भूत पिसाच निकट नहीं आवै
महाबीर जब नाम सुनावै।।
नासै रोग हरे सब पीरा
जपत निरंतर हनुमत बीरा
संकट तें हनुमान छुड़ावै
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै।।
सब पर राम तपस्वी राजा
तिन के काज सकल तुम साजा
और मनोरथ जो कोई लावै
सोई अमित जीवन फल पावै।।
चारों जुग परताप तुम्हारा
है परसिद्ध जगत उजियारा
साधु संत के तुम रखवारे
असुर निकन्दन राम दुलारे।।
अष्टसिद्धि नौ निधि के दाता
अस बर दीन जानकी माता
राम रसायन तुम्हरे पासा
सदा रहो रघुपति के दासा।।
तुम्हरे भजन राम को पावै
जनम जनम के दुख बिखरावै
अन्त काल रघुबर पुर जाई
जहां जन्म हरिभक्त कहाई।।
और देवता चित्त न धरई
हनुमत सेइ सर्ब सुख करई
सड्कट कटै मिटै सब पीरा
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।।
जय –जय जय हनुमान गोसाई
कृपा करहु गुरुदेव की नाई
जो सत बार पाठ कर कोई
छूटहि बन्दि महा सुख होई।।
जो ये पढै हनुमान चालीसा
होय सिद्धि साखी गौरीसा
तुलसीदास सदा हरि चेरा
कीजै नाथ ह्दय महं डेरा।।
पवनतनय संकट हरन, मंगल मूरति रुप
राम लखन सीता सहित, ह्दय बसहु सुर भूप।।