पाकिस्तान की वो महिलाएं, जो गैर मर्द पसंद आते ही तोड़ देती हैं अपनी शादी

2018 में पहली बार कलाशा जनजाति को पाक की जनगणना के दौरान अलग जनजाति के तौर पर शामिल किया गया, इसी गणना के मुताबिक इस समुदाय में कुल 3800 लोग शामिल हैं।

New Delhi, Oct 26 : पाकिस्तान के अफगानिस्तान से सटे बॉर्डर पर सटी कलाशा जनजाति पाक के सबसे कम जनसंख्या वाले अल्पसंख्यकों में गिनी जाती है, इस जनजाति के सदस्यों की संख्या करीब पौने 4 हजार है, ये अपनी अजीबोगरीब और कुछ मामलों में आधुनिक परंपराओं के लिये जानी जाती हैं, जैसे इस समुदाय की महिलाओं को गैर-मर्द पसंद आ जाए, तो वो अपनी शादी तोड़ देती हैं, आइये आपको बताते हैं इस समुदाय की कुछ खासियतें

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क्या है कलाशा समुदाय
कलाशा समुदाय खैबर-पख्तूनख्वा प्रांत में चित्राल घाटी के बाम्बुराते, बिरीर और रामबुर क्षेत्र में रहता है, ये समुदाय हिंदू कुश पहाड़ों से घिरा हुआ है, इनका मानना है कि इसी पर्वत श्रृंखला से घिरा होने की वजह से उसकी सभ्यता और संस्कृति बची है, इस पहाड़ के कई ऐतिहासिक संदर्भ भी हैं, जैसे इसी इलाके में सिकंदर की जीत के बाद इसे कौकासोश इन्दिकौश कहा जाने लगा, यूनानी भाषा में उसका अर्थ है हिंदुस्तानी पर्वत, इन्हें सिकंदर का वंशज भी माना जाता है।

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जनजाति
2018 में पहली बार कलाशा जनजाति को पाक की जनगणना के दौरान अलग जनजाति के तौर पर शामिल किया गया, इसी गणना के मुताबिक इस समुदाय में कुल 3800 लोग शामिल हैं, यहां के लोग मिट्टी, लकड़ी और कीचड़ से बने छोटे-छोटे घरों में रहते हैं, किसी भी त्योहार पर औरतें-मर्द सभी साथ मिलकर शराब पीते हैं, इस जनजाति में संगीत हर मौके को खास बना देता है, ये त्योहार पर बांसुरी और ड्रम बजाते हुए नाचते-गाते हैं, हालांकि अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बहुसंख्यकों की डर की वजह से ये ऐसे मौकों पर भी साथ में पारंपरिक अस्त्र-शस्त्र से लेकर अत्याधुनिक बंदूकें भी रखते हैं।

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औरतों ने काम संभाल रखा है
कलाशा जनजाति में घर के लिये कमाने का काम ज्यादातर औरतों ने संभाल रखा है, ये भेड़-बकरियां चराने के लिये पहाड़ों पर जाती हैं, घर पर ही पर्स और रंगीन मालाएं बनाती हैं, जिन्हें बेचने का काम पुरुष करते हैं, यहां की महिलाएं सजने-संवरने की खासी शौकीन होती हैं, सिर पर खास किस्म की टोपी और गले में पत्थरों की रंगीन मालाएं पहनती हैं।