परिजनों ने ट्रांसजेंडर समझ घर से निकाला, भीख मांग पाली पेट, अब कर रही देश का नाम ऊंचा

देवेन्द्र खाने-पीने के लिये जगह-जगह भीख मांगने लगा, ट्रेन से दिल्ली पहुंचा, रेलवे स्टेशन तथा फुटपाथ पर रात गुजारी, देवेन्द्र ने तीन साल तक दिल्ली में भीख मांग कर पेट भरा।

New Delhi, Nov 06 : कभी 14 साल की उम्र में लड़का होते हुए भी लड़कियों जैसी हरकत की वजह से घर से निकाल दिये गये शख्स की जिंदगी ऐसे बदली कि वो प्रेरणा का कारण बन गया। राजस्थान के धौलपुर शहर की रहने वाले एक प्रतिष्ठित परिवार के यहां देवेन्द्र शर्मा उर्फ देविका ने जन्म लिया, परिवार में पुत्र रत्न की प्राप्ति पर काफी खुशियां मनाई गई, धीरे-धीरे देवेन्द्र बड़ा होने लगा, उसके बाद देवेन्द्र को प्राथमिक शिक्षा के लिये परिजनों ने शहर के नामी-गिरामी स्कूल एवीएम कान्वेंट में भर्ती करा दिया।

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पढाई में होशियार
देवेन्द्र पढाई में काफी होशियार था, लेकिन जैसे-जैसे वो बड़ा होने लगा, तो उसकी एक्टिविटी बदलने लगी, देवेन्द्र लड़कियों जैसे कार्य करने लगा, सजना-संवरना उसको अच्छा लगने लगा, तो उसने अपनी मां को ये जानकारी दी। उसके बाद परिवार में कोहराम मच गया, देवेन्द्र के परिजनों ने बंदिश लगा दी, फिर 14 साल की उम्र में साल 2004 में देवेन्द्र को घर से निकाल दिया, देवेन्द्र जब घर से निकला तो उसके पास बीस रुपये थे।

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जगह-जगह भीख मांगी
देवेन्द्र खाने-पीने के लिये जगह-जगह भीख मांगने लगा, ट्रेन से दिल्ली पहुंचा, रेलवे स्टेशन तथा फुटपाथ पर रात गुजारी, देवेन्द्र ने तीन साल तक दिल्ली में भीख मांग कर पेट भरा, फिर अपने समाज के लोगों के पास पहुंच गया, वहां रहकर नाइट स्कूल से पढाई की, देविका ने अंग्रेजी में पोस्ट ग्रेजुएशन किया, फिलहाल वो अंग्रेजी साहित्य में पीएचडी कर रही है। COURT देविका का सरकारी रिकार्ड और कागजातों में नाम देवेन्द्र शर्मा है, लेकिन अब उसका नाम देवेन्द्र एस मंगला मुखी उर्फ देविका है, लोग उसे देविका के नाम से पुकारते हैं, 2013 में देविका ने अपने अधिकारों के लिये सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की, जून 2014 में प्रथम थर्ड जेंडर को देविका का अधिकार मिल गया।

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कोर्ट से मिला पैतृक अधिकार
होश संभालने के बाद देविका के पिताजी का स्वर्गवास हो गया, तो उसने घर वापसी के लिये धौलपुर के सीजेएम कोर्ट में 2015 में केस दायर किया, उनके वकील रामकुमार शर्मा थे, सीजेएम कोर्ट से देविका ने अपना केस एडीजे कोर्ट में ट्रांसफर करा लिया, करीब साढे तीन साल तक लंबी लड़ाई लड़ने के बाद देविका ने एडीजे कोर्ट ने साल 2018 में जीत हासिल की, इसके बाद देवेन्द्र उर्फ देविका की घर वापसी हुई, देविका को पैतृक अधिकार मिल गया। देविका के पिता का देहांत हो चुका है, परिवार में मां ने उसे पैतृक संपत्ति में हिस्सा दे दिया, इसके बाद देविका एक संस्था के माध्यम से समाज की विधवा, विकलांग, सेक्स वर्कर और अभावग्रस्त परिवारों के लिये सेवा का काम कर रही है, संयुक्त राष्ट्र संघ के दौरे के दौरान उन्होने भारत देश का प्रतिनिधित्व किया है। देविका ने इंडोनेशिया, कतर, श्रीलंका, यूगोस्लाविया का दौरा किया है, भारत सरकार द्वारा उनको सर्वोच्च सम्मान राष्ट्रीय मीरा दिया गया है, देविका अच्छी कत्थक नृत्य करती हैं, दूरदर्शन के साथ कई राज्यों में अपनी प्रस्तुति दे चुकी हैं।