कौन है माफिया बृजेश सिंह? जिसने बीजेपी लहर को वाराणसी में रोका, करा दी जमानत जब्त
पिछले 2 दशक से वाराणसी एमएलसी सीट पर बृजेश सिंह के परिवार का कब्जा रहा है, पिछली बार 2016 में एमएलसी चुनाव में खुद निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर बृजेश सिंह चुनावी मैदान में उतरे थे।
New Delhi, Apr 12 : यूपी में विधान परिषद की 27 सीटों के नतीजे आ गये है, प्रदेश 36 एमएलसी सीटों में 9 पर बीजेपी पहले ही निर्विरोध जीत चुकी थी, बाकी 27 के लिये मतदान हुआ, जिसमें 24 सीटों पर भगवा लहराया, इस तरह बीजेपी ने 33 सीटें हासिल की, तो तीन सीटों पर उसे हार का सामना करना पड़ा, वहीं बाहुबली तथा एमएलसी बृजेश सिंह की पत्नी अन्नपूर्णा सिंह निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर वाराणसी-चंदौली-भदोही सीट पर जीत हासिल करने में कामयाब रही, जबकि बीजेपी उम्मीदवार सुदामा पटेल अपनी जमानत भी नहीं बचा सके।
काशी में बीजेपी को हार
वाराणसी-चंदौली-भदोही क्षेत्र की एमएलसी सीट पर बृजेश सिंह की पत्नी तथा निर्दलीय उम्मीदवार अन्नपूर्णा सिंह ने जीत हासिल की, वाराणसी एमएलसी सीट पर अन्नपूर्णा को 4234 वोट मिले, तो दूसरे नंबर पर रहे सपा उम्मीदवार उमेश यादव को 345 तथा बीजेपी उम्मीदवार डॉ. सुदामा पटेल को 170 वोट मिले, इस सीट पर बीजेपी उम्मीदवार की जमानत तक नहीं बच सकी। आपको बता दें कि वाराणसी एमएलसी सीट पर कुल 4949 वोटर थे, जिसमें से 4876 वोट डाले गये, इसमें से 127 वोट किन्हीं कारणों से निरस्त कर दिये गये, जिसके चलते 4749 वोट वैध पड़े।
बृजेश सिंह परिवार का कब्जा
पिछले 2 दशक से वाराणसी एमएलसी सीट पर बृजेश सिंह के परिवार का कब्जा रहा है, पिछली बार 2016 में एमएलसी चुनाव में खुद निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर बृजेश सिंह चुनावी मैदान में उतरे थे, बीजेपी ने उन्हें वॉकओवर देते हुए यहां से उम्मीदवार नहीं उतारा था, लेकिन इस बार पार्टी ने सुदामा पटेल पर दांव लगाया, लेकिन वाराणसी जेल में बंद बृजेश सिंह ने अपनी पत्नी को निर्दलीय उतारकर बीजेपी की जमानत जब्त करा दी।
बीजेपी से नाता
वाराणसी विधान परिषद सीट पर 2 बार बृजेश सिंह के भाई बीजेपी के टिकट पर जीत चुके हैं, तो एक बार उनकी पत्नी अन्नपूर्णा सिंह 2010 में बसपा के टिकट पर एमएलसी रही हैं, जबकि एक बार खुद बृजेश सिंह निर्दलीय जीते हैं, इस तरह से पिछले 24 सालों से उन्हीं के परिवार का इस सीट पर कब्जा है, एक बार फिर बृजेश सिंह की पत्नी ने चुनाव जीतकर साबित कर दिया है कि वाराणसी में बृजेश की सियासी ताकत कम नहीं हुई है।