यूनिफॉर्म सिविल कोड पर भिड़े ओवैसी और हिमंत बिसवा सरमा, जानिये क्या कहा असम सीएम ने?

ओवैसी के इस बयान पर असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि हर कोई यूसीसी चाहता है, कोई भी मुस्लिम महिला नहीं चाहती कि उसका पति 3 अन्य पत्नियों को घर लाए।

New Delhi, May 01 : भारत में समान नागरिक संहिता यानी यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने को लेकर बहस तेज हो गई है, एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी तथा असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा यूसीसी को लेकर अलग-अलग राय व्यक्त कर रहे हैं, ओवैसी ने कहा कि समान नागरिक संहिता की इस देश को कोई जरुरत नहीं है, जहां तक गोवा के यूसीसी की बात है, उसमें कहा गया है कि अगर किसी हिंदू पुरुष की पत्नी 30 साल की उम्र तक किसी लड़के को जन्म नहीं देती है, तो वो व्यक्ति दूसरी शादी कर सकता है।

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पूरे देश में लागू करना चाहेगी
उन्होने कहा कि क्या सरकार इस तरह के यूसीसी को पूरे देश में लागू करना चाहेगी, देश के लॉ कमीशन ने भी अपनी रिपोर्ट में कहा कि मुल्क में समान नागरिक संहिता को लागू करने की कोई जरुरत नहीं है, Owaisi असदुद्दीन ओवैसी ने औरंगाबाद में बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि पूरे देश  नफरत की माहौल खड़ा किया जा रहा है, जहां-जहां बीजेपी की सरकारें है, वहां कानून का शासन नहीं बल्कि बुलडोजर का शासन है, बीजेपी शासित राज्यों में कोर्ट को दरकिनार कर बुलडोजर से न्याय दिया जा रहा है, पूरे देश में मुसलमानों को सामूहिक सजा दी जा रही है।

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असम के सीएम ने यूसीसी को बताया जरुरी
ओवैसी के इस बयान पर असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि हर कोई यूसीसी चाहता है, कोई भी मुस्लिम महिला नहीं चाहती कि उसका पति 3 अन्य पत्नियों को घर लाए, किसी भी मुस्लिम महिला से पूछो, यूसीसी मेरा मुद्दा नहीं है, hemant-vishwa-sharma (1) ये सभी मुस्लिम महिलाओं का मुद्दा है, अगर उन्हें न्याय दिलाना है, तो 3 तलाक को खत्म करने के बाद यूसीसी लाना होगा, वहीं ओवैसी ने कहा कि किसी के माई के लाल में दम नहीं है, कि हमें (मुसलमानों को) पंचिंग बना देगा, देश में हिदुत्व को आगे बढाने के लिये जमकर पॉलिटिक्स हो रही है, होड़ लगी है कि हिंदुत्व को मानने वाला सबसे बड़ा कौन है, इस कंपटीशन में सभी नेता और पार्टी आगे हैं।

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यूनिफॉर्म सिविल कोड क्या है
समान नागरिक संहिता यानी यूनिफॉर्म सिविल कोड का अर्थ होता है कि देश के हर नागरिक के लिये एक समान कानून होना, चाहे वो किसी भी धर्म या जाति का हो, समान नागरिक संहिता में शादी, तलाक और जमीन-जायदाद के बंटवारे में सभी धर्मों के लिये एक ही कानून लागू होगा, भारत में ये कानून कुछ मामलों में लागू है, लेकिन कुछ में नहीं, Muslim भारतीय अनुबंध अधिनियम, नागरिक प्रक्रिया संहिता, माल बिक्री अधिनियम, संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम, भागीदारी अधिनियम, साक्ष्य अधिनियम आदि में समान नागरिक संहिता लागू है, लेकिन विवाह, तलाक और विरासत जैसे मामलों में इसका निर्धारण पर्सनल लॉ या धार्मिक संहिता के आधार पर होता है।