महिला कांस्टेबल को हर कोई कर रहा सैल्यूट, ढाई महीने की बच्ची को बचाने के लिये किया ऐसा काम

थाना अध्यक्ष महावीर किराड़ ने बताया कि ढाई महीने की मासूम के लिये पुलिस थाने पर तैनात दोनों महिला कांस्टेबलों ने यशोदा बनकर बारी-बारी से अपना दूध पिलाकर बच्ची की जान बचाई।

New Delhi, May 05 : राजस्थान के कोटा के बारां जिले में पुलिस का एक ऐसा चेहरा देखने को मिला है, जिसकी खूब तारीफ हो रही है, पुलिस ने ढाई महीने की मासूम आदिवासी बच्ची को भीषण गर्मी में भूख-प्यास से तड़पती देख थानाधिकारी से लेकर हर एक जवान चिंतित हो उठा, बच्ची की हालत को देखकर थाने की दो महिला कांस्टेबलों ने उसे अपना दूध पिलाकर इंसानियत की नई गाथा लिखी है, ये बच्ची नशे में धुत पिता के पास जंगल में मिली थी, बच्ची को अब उसकी मां को सौंप दिया गया है, बच्ची की जान बचाने वाली महिला कांस्टेबलों के बारे में जिस किसी ने भी सुना, वो उनकी तारीफ किये बिना नहीं रह सका।

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ढाई महीने की बच्ची
थाना अध्यक्ष महावीर किराड़ ने बताया कि ढाई महीने की मासूम के लिये पुलिस थाने पर तैनात दोनों महिला कांस्टेबलों ने यशोदा बनकर बारी-बारी से अपना दूध पिलाकर बच्ची की जान बचाई। 4 मई को दोपहर में सूचना मिली, कि 30 वर्षीय एक शख्स नशे की हालत में थाना इलाके के बाबड़ की पहाड़ी जंगली क्षेत्र से पैदल गुजर रहा था, उसके पास बच्ची थी, सूचना पर पुलिस टीम मौके पर पहुंची, वहां जंगल की झाड़ियों में घुसा एक शख्स मिला, जो नशे में धुत था, उसके पास गर्मी से बेहाल अचेत अवस्था में ढाई महीने की बच्ची थी, महिला कांस्टेबल मुकलेश ने बच्ची को लेकर अपने सीने से चिपका लिया।

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पिलाया अपना दूध
नशे में धुत शख्स को बच्ची के साथ थाने लाया गया, जहां बच्ची की नाजुक हालत देखते हुए महिला कांस्टेबल मुकलेश और पूजा ने उसे बारी-बारी से अपना दूध पिलाकर उसकी भूख मिटाई, मुकलेश और पूजा के भी छोटे बच्चे हैं, नशेड़ी शख्स से पूछताछ में सामने आया कि वो उस बच्ची का पिता है, उसका नाम राधेश्याम काथोड़ी है, वो छीपाबडौद थाना इलाके के सालापूरा का रहने वाला है।

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बच्ची की देखभाल
जांच में पता चला कि वो अपने ससुराल झालावाड़ जिले के कामखेड़ा इलाके के गांव बंधा से अलसुबह 4 से 5 बजे के करीब बच्ची को लेकर चुपचाप पैदल चल पड़ा था, वो पैदल ही भूखी प्यासी बच्ची के साथ नशे की हालत में 15 किमी दूर सालापुरा जा रह था, बाद में पुलिस ने बच्ची की मां को इसकी सूचना दी, तब तक दोनों कांस्टेबल ने उसकी पूरी देखभाल की, महिला कांस्टेबल मुकलेश और पूजा ने बताया कि बच्ची की हालत देखकर साफ लग रहा था कि वो कई घंटों से भूखी है, उसके होंठ सूखे हुए हैं, इतनी छोटी बच्ची को ऊपर का कुछ नहीं दे सकते, हम दोनों के 1-1 साल के बच्चे हैं, इसलिये बिना देर किये पहले पूजा ने फिर मुकलेश ने बच्ची को अपना दूध पिलाया, दोनों ने कहा कि ये ईश्वर की कृपा है कि एक अनजान आदिवासी बच्ची ने हमारा दूध पिया है।