रात में मजदूरी, दिन में क्रिकेट, 1 साल तक लंच नहीं, संघर्षपूर्ण है MI के नये सितारे की कहानी

कार्तिकेय 15 साल की उम्र में कानपुर से दिल्ली एक क्रिकेट एकेडमी में एडमिशन के लिये आये, उन्होने अपने कांस्टेबल पिता को आश्वस्त किया कि उनके क्रिकेट खेलने से परिवार की वित्तीय स्थिति प्रभावित नहीं होगी।

New Delhi, May 07 : कुमार कार्तिकेय सिंह ने हाल ही में फ्रेंचाइजी मुंबई इंडियंस के लिये इस सीजन में डेब्यू किया, पहले ही मुकाबले में बायें हाथ के स्पिन गेंदबाज ने प्रभावित किया, क्रिकेट विशेषज्ञों ने उनके नियंत्रण और विविधता की तारीफ की, इस युवा क्रिकेटर ने अपनी गेंदबाजी से लोगों का ध्यान खींचा है।

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कानपुर से दिल्ली आये
कार्तिकेय 15 साल की उम्र में कानपुर से दिल्ली एक क्रिकेट एकेडमी में एडमिशन के लिये आये, उन्होने अपने कांस्टेबल पिता को आश्वस्त किया कि उनके क्रिकेट खेलने से परिवार की वित्तीय स्थिति प्रभावित नहीं होगी, उनकी आर्थिक स्थिति के बारे में जानने के बाद संजय भारद्वाज ने अपनी एकेडमी में उन्हें मुफ्त एडमिशन दिया।

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मजदूर के रुप में काम
ये कार्तिकेय के संघर्षों की शुरुआत थी, उन्हें अभी भी खुद को आय का स्त्रोत और रहने के लिये जगह ढूंढनी थी, उनको गाजियाबाद के पास एक कारखाने में मजदूर के रुप में काम मिला, जो एकेडमी से 80 किमी दूर था, sharjah cricket stadium सारी रात काम करने के बाद कार्तिकेय एक बिस्किट का पैकेट खरीदने के लिये 10 रुपये बचाने के खातिर मीलों पैदल चलते थे, जब संजय भारद्वज क ये बात पता चली, तो उन्होने बायें हाथ के स्पिन गेंदबाज को अपनी एकेडमी में ही रहने के लिये जगह देने की बात कही, जहां उनका रसोइया रहता था, वहीं पर उन्हें रहने को कहा।

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खाना देख रोने लगे
संजय भारद्वाज ने ईएसपीएन क्रिकइंफो को बताया कि जब रसोइये ने उन्हें दोपहर का भोजन दिया, तो कार्तिकेय रोने लगे, उन्होने 1 साल से दोपहर का भोजन नहीं किया था, गौतम गंभीर और अमित मिश्रा जैसे क्रिकेटरों को क्रिकेट का गुर सिखाने वाले संजय ने कार्तिकेय को मध्य प्रदेश भेज दिया, क्योंकि उन्हें दिल्ली में मौके नहीं मिल रहे थे। भारद्वाज ने बताया कि कार्तिकेय की काबिलियत और लगन को देखते हुए मैंने उन्हें अपने दोस्त और शहडोल क्रिकेट एसोसिएशन सचिव अजय द्विवेदी के पास भेज दिया, वहां उन्हें डिवीजन क्रिकेट में खेलने का मौका मिला, अपने पहले 2 सालों में उन्होने 50 से ज्यादा विकेट लिये, कार्तिकेय ने ट्रायल मैचों के दौरान खूब विकेट हासिल किये, फिर एमपी के लिये रणजी ट्रॉफी में पदार्पण किया।

जबरदस्त लगन
संजय भारद्वाज ने बताया कि जब भी कुमार कार्तिकेय फ्री होते हैं, तो नेट्स में गेंदबाजी करना शुरु कर देते हैं, कई बार वो देर रात इंदौर से मैच खेलकर वापस आते थे और लाइट जलाकर अगले दो-तीन घंटे नेट में बिताते हैं, उनका जुनून पिछले 9 सालों में बढा है, वो धीरे-धीरे कलाई से स्पिन गेंदबाजी करना भी सिख गये हैं, आईपीएल डेब्यू मैच में कार्तिकेय ने 4 ओवर में सिर्फ 19 रन देकर राजस्थान के कप्तान संजू सैमसन का बड़ा विकेट हासिल किया।