राष्ट्रपति चुनाव की गहमागहमी के बीच जानें वो समीकरण जिनसे एनडीए को मात दे सकता है विपक्ष

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई 2022 को खत्म हो रहा है, इससे पहले राष्ट्रपति पद के लिए 18 जुलाई को चुनाव होने हैं । कौन बनेगा अगला राष्‍ट्रपति, ये सवाल सबके मन में है ।  

New Delhi, Jun 15: आगामी 18 जुलाई को देश में राष्‍ट्रपति पद के लिए चुनाव होने हैं । इसे लेकर सत्तापक्ष और विपक्ष में मंथन शुरू हो गया है । विपक्षी दलों की ओर से बुधवार को दिल्ली में एक बैठक भी बुलाई गई है, जिसमें एनडीए के खिलाफ साझा उम्मीदवार उतारने के लिए चर्चा होगी । ऐसे में एक सवाल जो सबके मन में उठ रहा है कि विपक्ष अगर साझा प्रत्याशी उतारता है को क्या एनडीए को चुनौती दे पाएगा?

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नामांकन प्रक्रिया शुरू
राष्ट्रपति पद के लिए हो रहे चुनाव के लिए बुधवार यानी आज 15 जून से नामांकन पत्र भरने की प्रक्रिया शुरू हो रही है  । वहीं, सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों में ही सियासी गोलबंदी भी शुरू हो गई है । एनडीए के खिलाफ विपक्ष का साझा उम्मीदवार उतारने को लेकर दिल्ली के कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में विपक्षी दलों के नेताओं की बैठक बुलाई गई है ।

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कुल कितने वोट?
आपको बता दें राष्ट्रपति चुनाव में लोकसभा, राज्यसभा और राज्यों की विधानसभा के सदस्य वोट डालते हैं । 245 सदस्यों वाली राज्यसभा में से 233 सांसद ही वोट डाल सकते हैं । जम्मू-कश्मीर में विधानसभा भंग होने के कारण कश्मीर कोटे की चार राज्यसभा सीटें खाली हैं, जिसके चलते 229 राज्यसभा सांसद ही राष्ट्रपति चुनाव में वोट डाल सकेंगे । वहीं लोकसभा के सभी 543 सदस्य वोटिंग में हिस्सा लेंगे, जिनमें वो भी सीटें शामिल हैं जहां पर उपचुनाव हो रहे हैं । इसके अलावा सभी राज्यों के कुल 4 हजार 33 विधायक भी राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोट डालेंगे । राष्ट्रपति चुनाव में कुल मतदाताओं की संख्या फिलहाल 4 हजार 809 होगी ।

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वोट वैल्‍यू
हालांकि इन सभी सदस्‍यों के वोटों की वैल्यू अलग-अलग होती है । लोकसभा, राज्यसभा और विधानसभा सदस्यों के वोटों की वैल्यू मिलाकर देखें तो वोटर्स के वोटों की कुल वैल्यू 10 लाख 86 हजार 431 होती है । राष्ट्रपति चुनाव में जीत के लिए आधे से एक वोट ज्यादा की जरूरत होगी । यानी, राष्ट्रपति चुनाव जीतने के लिए कम से कम 5,43,216 वोट चाहिए होंगे ।
किसका पलड़ा भारी?
राष्ट्रपति चुनाव में मतदान करने वाले सियासी गठबंधनों की कुल ताकत की बात करें तो कांग्रेस नेतृत्व वाले यूपीए के पास फिलहाल 23 फीसदी के लगभग वोट हैं, जबकि बीजेपी नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन के पास लगभग 48 प्रतिशत वोट हैं । यानी यूपीए के मुकाबले में बीजेपी को बड़ी बढ़त हासिल है ।  लेकिन अगर सभी विपक्षी दल मिलकर संयुक्त तौर पर कोई उम्मीदवार खड़ा करते हैं तो सियासी समीकरण बदल जाएंगे । देश के सभी क्षेत्रीय दलों ने यदि उसे अपना समर्थन दिया तो एनडीए के उम्मीदवार के लिए समस्या खड़ी हो सकती है । बीजेपी विरोधी सभी दलों के एकजुट होने की स्थिति में उनके पास एनडीए से करीब दो प्रतिशत ज्यादा यानी 51 प्रतिशत के लगभग वोट हो जाते हैं । इसी वजह से बीजेपी नेतृत्व इसी दो प्रतिशत वोट की खाई को पाटने के मिशन में जुटा हुआ है, वहीं विपक्षी दल साझा उम्मीदवार को उतारने के लिए मशक्कत शुरू कर दिए हैं।