शहीद जवान बेटे की अर्थी को जब मां ने दिया कंधा, हर किसी की आंखें हुईं नम, सपूत को किया विदा

मां-बाप के लिए सबसे बड़ा दुख है उनकी औलाद का दुनिया से चले जाना, लेकिन एक शहीद की मां तो इसका दुख भी नहीं जता सकती ।

New Delhi, Jun 16: भारतीय सेना की 14 पंजाब रेजीमेंट के सिपाही गुरप्रीत सिंह की तैनाती आतंकवाद प्रभावित क्षेत्र सोपोर में हुई थी। अभी चार महीने पहले ही उसे जम्मू-कश्मीर के राजौरी सेक्टर में तैनात किया गया था । मंगलवार को वह मुस्तैदी के साथ अपनी ड्यूटी दे रहे थे तभी उन्‍हें कुछ घबराहट महसूस हुई तो उन्हें सैन्य अस्पताल ले जाया गया। जहां ह्रदय गति रुकने से उनका देहांत हो गया।

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सैन्‍य सम्‍मान से हुआ अंतिम संस्‍कार
बुधवार को गुरप्रीत सिंह के पैतृक गांव बटाला के मलकपुर में पूरे सैन्य सम्मान से अंतिम संस्कार कर दिया गया। तिब्बड़ी कैंट से पहुंची सेना की 11 गढ़वाल यूनिट के जवानों ने शहीद सैनिक को सलामी दी। इससे पहले तिरंगे में लिपटी सिपाही गुरप्रीत सिंह की पार्थिव देह को श्रीनगर से एयरलिफ्ट कर अमृतसर राजासांसी एयरपोर्ट लाया गया। जहां से सैन्य वाहन में पार्थिव शरीर गांव मलकपुर लाया गया। तिरंगे में लिपटा गुरप्रीत का पार्थिव शरीर जब गांव पहुंचा तो हर किसी की आंखें नम हो गई ।

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मां ने दिया कंधा
तिरंगे में लौटे सिपाही गुरप्रीत सिंह का पार्थिव शरीर जब घर पहुंचा तो मां कुलविंदर कौर सूनी आंखों से एक टक शहीद बेटे को निहारती रही । मां कुलविंदर कौर ने कहा कि शहीद बेटा कहता था कि अगर ड्यूटी के दौरान कभी मुझे कुछ हो गया तो रोना मत क्योंकि जब एक सैनिक वर्दी पहन लेता है तो उसकी जिंदगी देश की अमानत बन जाती है। इसलिए मैं रोऊंगी नहीं।

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अंतिम विदाई
शहीद सिपाही गुरप्रीत सिंह की मां कुलविंदर कौर ने वीर मां होने का फर्ज निभाते हुए अपने बेटे की अर्थी को कंधा देकर श्मशान ले जाने लगी तो अंतिम यात्रा में शामिल सैकड़ों लोग शहीद की माता जिंदाबाद, भारत माता की जय, भारतीय सेना जिंदाबाद, सिपाही गुरप्रीत सिंह अमर रहे के जयघोष करने लगे। शहीद की चिता को मुखाग्नि उनके बड़े भाई सुमित पाल सिंह ने दी। सरकार से गांव में सिपाही गुरप्रीत सिंह की याद में यादगार गेट बनवाने और सरकारी स्कूल का नाम शहीद के नाम पर रखने की अपील की।