New Delhi, Jun 23 : शिवसेना संस्थापक बालासाहेब ठाकरे अपने दौर में महाराष्ट्र के सबसे प्रभावशाली नेताओं में से एक रहे, बीजेपी को कमलाबाई कहने वाले बालासाहेब अकसर अपनी शर्तों पर ही काम करने के लिये जाने जाते थे, लेकिन एक चीज से वो हमेशा दूर रहे, वो थी सत्ता, उन्होने खुला ऐलान किया था कि वो जीवन में कभी पद नहीं लेंगे, भले ही बीजेपी-शिवसेना गठबंधन सरकार में उनका अच्छा खासा दखल होता था, लेकिन उन्होने कभी सरकार में पद नहीं लिया, यहां तक कि ये अलिखित पार्टी संविधान ही बन गया था कि ठाकरे परिवार शिवसेना की ओर से कभी सत्ता का हिस्सा नहीं होगा, लेकिन 2019 में ये परंपरा टूट गई, बीजेपी के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ने वाली शिवसेना बाद में इस बात पर अड़ गई कि उनका सीएम भी ढाई साल के लिये बनना चाहिये।
सीएम पद गले की हड्डी
इसी बात पर दोनों दलों के बीच तनाव इस कदर बढा कि शिवसेना ने राह ही अलग कर ली, दशकों तक जिस एनसीपी और कांग्रेस से टकराव रहा, उनके साथ मिलकर सरकार बना ली, कहा जाता है कि इस गठबंधन की पहली शर्त ही यही थी कि
आलोचना से परे नहीं नही ठाकरे फैमिली
इस तरह ठाकरे परिवार के सत्ता में आते ही कई परंपरा टूट गई, तो परिवार आलोचना से भी परे हीं रहा, जैसा बालासाहेब के दौर में था, तब मनोहर जोशी से लेकर नारायण राणे जैसे नेता भले ही सत्ता में थे,
40 विधायकों की बगावत से गहरे संकट का संकेत
एकनाथ शिंदे की बगावत से भी खास बात ये है कि उनके पास करीब 40 विधायकों का समर्थन है, यदि शिवसेना में सबकुछ ठीक होता, तो एकनाथ शिंदे की नाराजगी होने के बाद भी इतनी बड़ी संख्या में विधायक उनके साथ नहीं होते,
आईपीएल 2023 में तिलक वर्मा ने 11 मैचों में 343 रन ठोके थे, पिछले सीजन…
ज्योति मौर्या के पिता पारसनाथ ने कहा कि जिस शादी की बुनियाद ही झूठ पर…
अजित पवार ने एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार पर निशाना साधते हुए कहा आप 83 साल…
धतूरा शिव जी को बेहद प्रिय है, सावन के महीने में भगवान शिव को धतूरा…
भारत तथा वेस्टइंडीज के बीच पहला टेस्ट मैच 12 जुलाई से डोमनिका में खेला जाएगा,…
मेष- आज दिनभर का समय स्नेहीजनों और मित्रों के साथ आनंद-प्रमोद में बीतेगा ऐसा गणेशजी…
Leave a Comment