शनि जुलाई में फिर बदलने वाले हैं अपनी चाल, इन राशियों की शुरु होगी साढेसाती और ढैय्या

29 अप्रैल को जब शनि स्वराशि कुंभ में आये थे, तो मिथुन और तुला राशि के जातकों को शनि की ढैय्या से मुक्ति मिल गई थी, जबकि कर्क तथा वृश्चिक राशि में शनि की ढैय्या का प्रभाव शुरु हो गया था।

New Delhi, Jul 06 : न्याय के देवता शनि देव 12 जुलाई को राशि बदलने वाले हैं, ज्योतिषी के अनुसार इसी दिन शनि करीब सुबह 10.28 बजे मकर राशि में विराजमान होंगे, शनि इस समय वक्री अवस्था में हैं, और कुंभ राशि में बैठे हैं, शनि इन दोनों ही राशियों के स्वामी भी हैं, ज्योतिषी के मुताबिक शनि गोचर के बाद कुछ राशियों पर शनि की ढैय्या का प्रभाव शुरु हो जाता है, तो वहीं कुछ राशियों से इसका प्रभाव खत्म हो जाता है।

इन दो राशियों को राहत
29 अप्रैल को जब शनि स्वराशि कुंभ में आये थे, तो मिथुन और तुला राशि के जातकों को शनि की ढैय्या से मुक्ति मिल गई थी, जबकि कर्क तथा वृश्चिक राशि में शनि की ढैय्या का प्रभाव शुरु हो गया था, लेकिन 12 जुलाई को शनि के राशि बदलते ही इन राशियों से ढैय्या का प्रभाव खत्म हो जाएगा, इसके बाद वृश्चिक और कर्क राशि वालों की मुश्किल काफी हद तक कम हो जाएंगी।

इन राशियों पर शनि की ढैय्या
शनि के गोचर से जहां कुछ राशियों को राहत मिलेगी, तो वहीं कुछ के मुश्किल भरे दिन शुरु हो जाएंगे, मकर में प्रवेश करते ही मिथुन और तुला राशि के जातक शनि ढैय्या की चपेट में आ जाएंगे, इन राशि के जातकों पर शनि की क्रूर दृष्टि अगले साल 17 जनवरी तक रहेगी, हालांकि इन राशियों पर शनि की बुरी नजर ढाई साल के लिये नहीं बल्कि 6 महीने के लिये ही होगी।

साढेसाती और ढैय्या का महत्व
ज्योतिषी के मुताबिक हर इंसान के जीवन में शनि की साढेसाती 3 बार आती है, वहीं ढैय्या का असर ढाई साल रहता है, इनके कारण इंसान शारीरिक तथा मानसिक दुखों का सामना करता है, ऐसी मान्यताएं है कि शनि की ढैय्या और साढेसाती के समय गरीब या असहाय को सताने से शनि और भी क्रोधित हो जाते हैं। साढेसाती या ढैय्या के अशुभ परिणामों से बचने के लिये शनि महाराज को खुश रखना चाहिये, जिससे जीवन आसानी से चल सके, इस समय शनि का मंत्र जाप, पूजन तथा दान करने से काफी राहत मिलती है, शास्त्रों में शनि की औषधि स्नान आदि के बारे में भी कहा गया है, शनि को शांत रखने के लिये शनि के बीज मंत्र की कम से कम 3 मालाएं जाप करनी चाहिये, बीज मंत्री ऊं प्रां प्रीं प्रौं सः शनये नमः, इसके साथ ही शनि श्लोक का पाठ जरुर करें।

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