सियासी भंवर में फंसे ओपी राजभर, ना अखिलेश से बन रही, ना बगावत थम रही

अखिलेश यादव तथा ओम प्रकाश राजभर के बीच जितनी मिठास विधानसभा चुनाव से पहले थी, अब दोनों के बीच उतनी ही खटास दिखाई दे रही है, नौबत तो यहां तक आ गई है कि ओपी राजभर खुलकर अखिलेश के खिलाफ बयानबाजी करने लगे हैं।

New Delhi, Jul 14 : यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में खेला करने की चाहत में अखिलेश साथ हाथ मिलाने वाले ओपी राजभर का अब खुद सियासी खेल बिगड़ता जा रहा है, सपा मुखिया अखिलेश यादव के रुख का इंतजार कर रहे राजभर ने अब तक फैसला नहीं लिया है, कि आखिर राष्ट्रपति चुनाव में उनके 6 विधायक किसे वोट करेंगे, वजह है कि राजभर खुद अखिलेश से मिल इस पर आमने-सामने बातचीत चाहते हैं, एक ओर ना तो अखिलेश यादव से बन रही है, ना ही पार्टी में बगावत थम रही है, ऐसे में यूपी चुनाव से ठीक पहले बीजेपी से रिश्ता तोड़कर सपा के साथ आने वाले ओपी राजभर खुद सियासी भंवर में फंसते दिख रहे हैं।

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रिश्ते में खटास
अखिलेश यादव तथा ओम प्रकाश राजभर के बीच जितनी मिठास विधानसभा चुनाव से पहले थी, अब दोनों के बीच उतनी ही खटास दिखाई दे रही है, नौबत तो यहां तक आ गई है कि akhilesh rajbhar ओपी राजभर खुलकर अखिलेश के खिलाफ बयानबाजी करने लगे हैं, बीते कुछ समय से जिस तरह से सियासी घटनाक्रम देखने को मिल रहे हैं, ऐसे में कहा जा रहा है कि अब दोनों के बीच गठबंधन भी सिर्फ कहने को रह गया है, एक ओर जहां सपा से गठबंधन में दरार पड़ती दिख रही है, वहीं सुभासपा में बगावत की आंच और तेज होने लगी है।

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पार्टी में बजा बगावत का बिगुल
ओपी राजभर मौजूदा हालात में सियासी चक्रव्यूह में फंसते दिखाई दे रहे हैं, अखिलेश यादव से जगजाहिर तल्खी के बीच उनकी अपनी पार्टी में ही बगावत का बिगुल बज चुका है, सुभासपा के उपाध्यक्ष शशि प्रताप सिंह ने राजभर पर गंभीर आरोप लगाते हुए उनका साथ छोड़ दिया, शशि प्रताप सिंह का साथ छोड़ना राजभर के लिये किसी बड़े झटके से कम नहीं है, akhilesh rajbhar (1) अगर वो चुपचाप पार्टी से चले जाते, तो एक बात होती, लेकिन उन्होने राजभर के खिलाफ कई गंभीर आरोप लगाकर और खुद की राजनीतिक संगठन राष्ट्रीय समता पार्टी की घोषणा कर राजभर के लिये मुश्किल बढा दी है।

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एनडीए उम्मीदवार को समर्थन का संकेत
शशि प्रताप सिंह ने राजभर पर परिवारवाद का आरोप लगाया, उन्होने कहा कि सुभासपा में भी भाई-भतीजावाद को बढावा दिया जा रहा है, सुभासपा के नेता अपने प्रियजनों को बढावा दे रहे हैं, उन्होने ये भी दावा किया कि सुभासपा के कई नेता उनके संपर्क में हैं, राजभर की पार्टी में बगावत का बिगुल ऐसे समय में बज रहा है, जब वो खुद अखिलेश यादव के खिलाफ गठबंधन को लेकर आवाज बुलंद करते नजर आ रहे हैं, हालांकि वो किसी भी संभावनाओं को अपने हाथ से जाने नहीं देना चाहते हैं, शायद यही वजह है कि बीते दिनों जब सीएम योगी ने द्रौपदी मुर्मू के समर्थन के लिये रात्रिभोज का आयोजन किया था, तो शिवपाल यादव के साथ ओपी राजभर और राजा भैया भी पहुंचे थे, जिससे उन्होने संकेत देने की कोशिश की थी कि सुभासपा के विधायक एनडीए उम्मीदवार को समर्थन दे सकते हैं।

सपा को खुद तलाक नहीं देंगे राजभर
ओपी राजभर का बीजेपी के रात्रिभोज में जाना कई सवाल खड़े कर रहा है, क्योंकि अखिलेश खेमा विपक्ष उम्मीदवार यशवंत सिन्हा के साथ है, इस वजह से ओपी राजभर की सपा से तल्खी के बीच बीजेपी से नजदीकी की भी चर्चा हो रही है, OP-Rajbhar लेकिन राजभर ने मीडिया से बात करते हुए ये स्पष्ट कर दिया, कि वो अपनी ओर से गठबंधन नहीं तोड़ेंगे, राजभर ने यहां तक कहा कि वो तलाक नहीं देंगे, अगर देना ही है कि तो अखिलेश यादव दे दें, माना जा रहा है कि राजभर राष्ट्रपति चुनाव में समर्थन के मुद्दे पर अखिलेश यादव से आमने-सामने बैठकर बातचीत करन चाहते हैं, इसके बाद वो 15 जुलाई को अपने फैसले का ऐलान करेंगे।

कैसे तल्ख होने लगे रिश्ते
यूपी विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव के साथ कंधे से कंधा मिलाकर बीजेपी को चुनौती देने वाले राजभर के आखिर सपा प्रमुख से रिश्ते कैसे तल्ख हो गये, अगर इस सवाल का जवाब ढूंढने की कोशिश करेंगे, तो पाओंगे, Rajbhar akhilesh कि यूपी चुनाव में मिली हार के बाद राजभर को अखिलेश यादव की ओर से उतनी तवज्जो नहीं मिली, जितनी की राजभर ने की थी, सियासी जानकारों का मानना है कि यूपी विधानसभा चुनाव के बाद राज्यसभा चुनाव और एमएलसी चुनाव में सपा गठबंधन में सुभासपा को तरजीह नहीं दी, यहीं उन्हें झटका लगा, वो एमएलसी टिकट अपने बेटे के लिये चाहते थे, तब से वो खुलकर बयानबाजी कर रहे हैं।