रेलवे ट्रैक पर छोटे पत्थरों का क्या काम, बारिश में भी क्यों नहीं डूबती रेल पटरी, जानिये वजह?

पटरी के बीच मौजूद पत्थरों के बीच एक गहरा विज्ञान और इंजीनियरिंग छिपी हुई है, पटरी के बीच रखे उन पत्थर को आप करीब से देखेंगे, तो उन्हें कई लेयर के साथ तैयार किया जाता है।

New Delhi, Jul 21 : आप जब भी ट्रेन से सफर करते हैं, तो एक चीज जरुर नोटिस किया होगा, रेलवे ट्रैक पर नीचे और आस-पास छोटे-छोटे पत्थर होते हैं, लेकिन क्या आपने कभी ये सोचा है कि आखिर इन पत्थरों का रेलवे ट्रैक पर क्या काम, इतना ही नहीं बारिश के मौसम में भी ये पटरियां आखिर डूबती क्यों नहीं, आइये जानते हैं कि ऐसा क्यों होता है।

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ट्रैक पर क्यों डाले जाते हैं पत्थर
पटरी के बीच मौजूद पत्थरों के बीच एक गहरा विज्ञान और इंजीनियरिंग छिपी हुई है, पटरी के बीच रखे उन पत्थर को आप करीब से देखेंगे, तो उन्हें कई लेयर के साथ तैयार किया जाता है, पटरी के नीचे लंबी-लंबी प्लेट्स में उन्हें रखा जाता है, जिन्हें स्लीपर कहा जाता है। उन प्लेट्स के नीचे छोटे-छोटे नुकीले पत्थरों को रखा जाता है, इन्हें ब्लास्टर कहा जाता है, उनके नीचे भी मिट्टी की दो लेयर होती है, जिस कारण ट्रैक जमीन से थोड़ा ऊंचाई पर नजर आता है, पटरी पर ट्रेन के चलने के दौरान पत्थर, स्लीपर और ब्लास्टर का कॉम्बिनेशन ट्रेन के भार को संभालता है।

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इंजीनियरिंग की मदद से किया जाता है सेट
पटरी के बीच मौजूद ये पत्थर वैसे तो बहुत छोटे होते हैं, railway लेकिन इंजीनियरिंग की मदद से उन्हें इस तरह से सेट किया जाता है, जिनसे वो ट्रेन के कंपन को सह पाते हैं, पटरी को फैलने से रोक देते हैं, नुकीले पत्थरों की जगह अगर गोल पत्थरों का इस्तेमाल करेंगे, तो कंपन नहीं रुकेगी, पटरी फैल भी सकती है।

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बारिश में भी नहीं डूबती है पटरी
पटरी को फैलने से रोकने के साथ ही इन पत्थरों की लेयर की मदद से ट्रैक के आस-पास पौधे भी नहीं लगते हैं, trainline पत्थरों की मदद से ट्रैक को जमीन से उठाकर बनाया जाता है, इसी कारण बारिश के मौसम में भी उस पर पानी नहीं भरता, ट्रैक ज्यों का त्यों बना रहता है।