एक और वादा पूरा करने की ओर बढ रहे पीएम मोदी, होगी करोड़ों रुपये की बचत

पीएम नरेन्द्र मोदी लगातार कहते रहे हैं कि एक साथ चुनाव कराने से देश का करोड़ों रुपये का खर्च बच सकता है, जो लगातार किसी ना किसी प्रदेश में चुनाव होते रहने के कारण होता रहता है।

New Delhi, Jul 29 : केन्द्र की मोदी सरकार ने देश में विधानसभा तथा लोकसभा चुनाव एक साथ कराने के लिये कवायद तेज कर दी है, सरकार ने इस मसले का अध्ययन करने के लिये मामला विधि आयोग को सौंपा है, ताकि व्यवहारिक रुप रेखा तथा रोडमैप तैयार किया जा सके, लोकसभा का अगला चुनाव 2024 में होंगे, जिसके सथ 6 राज्यों के विधानसभा चुनाव भी होने हैं।

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चुनाव एक साथ कराने की जरुरत
इससे पहले 2018 में विधि आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि ऐसा माहौल है कि देश में विधानसभा और लोकसभा चुनावा एक साथ कराने की जरुरत है, आयोग ने उस समय सुझाव दिये थे कि संविधान के अनुच्छेद 83 (संसद के कार्यकाल), अनुच्छेद 172 (विधानसभा के कार्यकाल) तथा जनप्रतिनिधित्व कानून, 1951 में संशोधन करने के बाद चुनाव एक साथ करवाये जा सकते हैं, इससे देश के लगातार चुनाव मोड में रहने से निजात मिल सकती है।

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रिटायर्ड जज हैं विधि आयोग में
सरकार ने विधि आयोग को ये मुद्दा जरुर दिया है, लेकिन इस समय विधि आयोग में कोई अध्यक्ष नहीं है, आयोग का कार्यकाल फरवरी 2023 में समाप्त होने वाला है, विधि आयोग के अध्यक्ष सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज हैं, वहीं इससे पहले 2016 में संसदीय समिति भी अपनी अंतरिम रिपोर्ट दे चुके हैं, सरकार ने इस रिपोर्ट को भी आयोग को दिया है, जिसे एक महत्वपूर्ण कदम के रुप में देखा जा रहा है, रिपोर्ट में संसदीय समिति ने भी एक साथ चुनाव कराने की आवश्यकता बताई थी, साथ ही कहा था कि सभी राजनीतिक दलों और क्षेत्रों की एक साथ चुनाव पर सहमति बनाने में एक दशक का समय लग सकता है।

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केन्द्र-राज्य आधा-आधा खर्च वहन करेंगे
केन्द्र सरकार ने 2014 से 2020 तक 5794 करोड़ रुपये जारी किये हैं, 6 साल की इस अवधि में 50 विधानसभा चुनाव तथा दो बार लोकसभा के चुनाव हुए हैं, नियम के अनुसार लोकसभा चुनाव का पूरा खर्च केन्द्र सरकार उठाती है, evm 1 जबकि विधानसभा चुनावों का खर्च राज्य उठाता है, सरकार का कहना है कि यदि एक साथ चुनाव हों, तो ये खर्च आधा हो जाएगा, केन्द्र तथा प्रदेश सरकार को आधा-आधा खर्च ही वहन करना पड़ेगा। जहां तक चुनाव आयोग का सवाल है, तो वो पहले ही कह चुका है कि उसे एक साथ चुनाव कराने में कोई दिक्कत नहीं है, इसके लिये बस वोटिंग मशीनों की संख्या बढानी होगी, जिसे वो एक तय समय में कर सकता है, बता दें कि देश में विधानसभा और लोकसभा के चुनाव 1951 से 1967 तक एक साथ हुए हैं।

करोड़ों का खर्च बचेगा
पीएम नरेन्द्र मोदी लगातार कहते रहे हैं कि एक साथ चुनाव कराने से देश का करोड़ों रुपये का खर्च बच सकता है, जो लगातार किसी ना किसी प्रदेश में चुनाव होते रहने के कारण होता रहता है, वहीं सुरक्षा बलों को भी पूरे देश में बार-बार भेजना पड़ता है, जिससे उनका काम प्रभावित होता है। आदर्श आचार संहिता लगने से विकास कार्य भी प्रभावित होते हैं।