ना काहू से दोस्ती ना काहू से बैर … सत्ता में रहने का यही है नीतीश फॉमूर्ला, दिए 8 संकेत
बिहार का ताजा घटनाक्रम राजनीति में कुछ भी हो सकता है का लाइव एग्जाम्पल है । नीतीश का ये कदम आने वाले समय में पूरे देश पर असर डालेगा ।
New Delhi, Aug 09: नीतीश कुमार ने बीजेपी से नाता तोड़ लिया है । वो एक बार फिर महागठबंधन की ओर लौट रहे हैं । नीतीश पिछले 20 साल से सीएम की कुर्सी पर बने हुए हैं, फिर इसके लिए उन्हें कुछ भी करना पड़ा हो । एक बार फिर ये स्पष्ट हो गया है, नीतीश के लिए ना काहू से दोस्ती ना काहू से बैर का मंत्र ही सफलता की चाभी है । बताया जा रहा है कि बिहार में अब जदयू, आरजेडी, कांग्रेस और लेफ्ट पार्टियों के महागठबंधन वाली नई सरकार होगी । हालांकि, इस बार भी सीएम नीतीश कुमार ही होंगे । खबर है कि तेजस्वी यादव डिप्टी सीएम बन सकते हैं ।
2013 में भी हुए थे अलग
बिहार में मंगलवार को बड़ा सियासी उलटफेर हुआ है । नीतीश कुमार एक बार फिर बीजेपी से अलग हो गए हैं । यह दूसरा मौका है, जब नीतीश कुमार ने ऐसा किया है । साल 2013 में वो अपने पुराने सहयोगी बीजेपी से नाता तोड़ चुके हैं । हालांकि, 2017 में वे महागठबंधन का साथ छोड़कर बीजेपी के साथ आ गए थे । बताया जा रहा है कि बिहार में अब जदयू, आरजेडी, कांग्रेस और लेफ्ट पार्टियों के महागठबंधन वाली नई सरकार होगी । सीएम नीतीश की इस सरकार में डिप्टी सीएम तेजस्वी होंगे लेकिन इस बार उन्होंने गृह मंत्रालय की भी मांग की है । ये सियासी उलटफेर 8 बड़े संकेत दे रहा है ।
पहला यही कि नीतीश कुमार सत्ता के लिए कुछ भी कर सकते हैं । उनका राजनीति में न तो कोई परमानेंट दोस्त है और न ही परमानेंट दुश्मन । दूसरी बात ये कि नीतीश कुमार को उम्मीद है कि वे बीजेपी का दामन छोड़कर राजद के साथ आकर बिहार में अपना अस्तित्व सुनिश्चित कर सकते हैं, हालांकि वो ये नहीं जानते कि उनका ये कदम उनके महत्व को कम कर रहा है ।
राजनीति के जानकारों के अनुसार नीतीश अब राष्ट्रीय स्तर पर मोदी के विकल्प के रूप में अपनी पुरानी आशाओं को फिर से पुनर्जीवित करने की कोशिश कर सकते हैं । इसके साथ ही कहा जा रहा है कि महाराष्ट्र में उद्धव सरकार गिरने के बाद नीतीश कुमार ने बीजेपी से नाता तोड़कर विपक्ष को नया जोश देने का काम किया है । इस सियासी उलटफेर के बाद भाजपा अब बिहार में नंबर एक पार्टी के रूप में उभरने की अपनी आशा पर खुलकर काम कर सकेगी । हालांकि नीतश का साथ ना होना 2024 से पहले बीजेपी के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है।
नीतीश ने महाराष्ट्र के घटनाक्रम से सीख लेते हुए सतर्कता दिखाई है । वहीं इस कदम से कांग्रेस को भी मजबूत होने का समय मिल सकता है । हालांकि नीतीश के इस कदम के बाद बीजेपी लालू और विपक्ष के खिलाफ भ्रष्टाचार विरोधी अभियान तेज कर सकती है । बहरहाल नीतीश अब लालू-तेजस्वी के पास लौटे रहे हैं, इस वक्त RJD मजबूत स्थिति में है । मौजूदा समय में विधानसभा के अंदर उसके नंबर ज्यादा हैं ।