ईंट-भट्टे पर मजदूरी करने वाले ने पहले ही प्रयास में पास किया UPSC, नौकरी छोड़ बने DSP

किशोर रजक- पढाई के दिनों में ही एक बार उनके शिक्षक ने उनसे कहा अगर मजदूरी करोगे, तो हमेशा मजदूर ही बने रहोगे, शिक्षक की इस सीख ने उनकी जिंदगी बदल दी।

New Delhi, Sep 07 : झारखंड के रामगढ के डीएसपी किशोर कुमार रजक जबरदस्त चर्चा में हैं, दरअसल उन्होने अपनी पत्नी वर्षा श्रीवास्तव पर आरोप लगाया था कि दुष्कर्म की धमकी देकर उनसे शादी की, अब वो उन्हें पीटती हैं, दोनों का मामला कोर्ट में है, पत्नी ने भी पलटवार करते हुए जवाब दिया और कहा कि वो और उनके घर वाले दहेज की मांग करते हैं, जिसके लिये उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है, खैर हम इस मामले पर नहीं बल्कि किशोर के स्ट्रगल स्टोरी आपको बताते हैं, कैसे एक मजदूर डीएसपी के पद तक पहुंचा।

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मजदूर का बेटा
झारखंड के बोकारो जिले के एक गांव बुड्ढीबिनोर में साल 1986 में किशोर कुमार रजक का जन्म हुआ, उनके पिता धनबाद के कोयला खदान में मजदूरी करते थे, तो मां रेणुका देवी घर संभालती थी, वो 4 भाई और एक बहन में सबसे छोटे हैं। किशोर ने बताया कि उनका बचपन बेहद अभाव और गरीबी में बीता, वो खेतों में काम करते थे, घर की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिये ईंट-भट्टे पर भी काम किया, लेकिन पढाई में हमेशा से मन लगता था, हालांकि गरीबी के बीच पढाई आसान भी नहीं था, घर में बिजली नहीं थी, दीया और लालटेन की रोशनी में पढते थे, वो अपने दोस्तों के साथ बकरियां और गाय चराने जाया करते थे।

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एक सीख ने बदल दी जिंदगी
पढाई के दिनों में ही एक बार उनके शिक्षक ने उनसे कहा अगर मजदूरी करोगे, तो हमेशा मजदूर ही बने रहोगे, शिक्षक की इस सीख ने उनकी जिंदगी बदल दी, एक इंटरव्यू में किशोर ने बताया कि चाचा के साथ ईंट-भट्टे पर मजदूरी करने जाता था, Ramgarh मुझे आज भी याद है कि उस समय भट्टे पर एक हजार ईंट निकालने के 4 रुपये और सड़क पर ईंट भरने के 12 रुपये मिला करते थे, किशोर रजक की शुरुआती पढाई-लिखाई गांव के ही सरकारी स्कूल से हुई, जिस स्कूल में वो पढाई करते थे, उसकी छत भी बरसात में टपकती थी, स्कूल की पढाई के पूरी करने के बाद उन्होने 2004 में इग्नू से इतिहास में ग्रेजुएशन के लिये एडमिशन लिया, 2007 में वो एक सेमेस्टर में फेल हो गये, जिससे हौसला टूटा, लेकिन फिर मेहनत करके 2008 में ग्रेजुएट हो गये।

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दिल्ली आये
किशोर कुमार रजक यूपीएससी की तैयारी के लिये दिल्ली आना चाहते थे, लेकिन पैसे की तंगी थी, उनकी बड़ी बहन पुष्पा ने गुल्लक तोड़ा, जिससे उन्हें 4 हजार रुपये दिये, क्योंकि किशोर के जान-पहचान के कुछ लोगों ने उनकी मदद से इंकार कर दिया था। आईपीएस बनने का ख्वाब लेकर दिल्ली आये किशोर ने अपनी मेहनत के दम पर 2011 सिविल सेवा परीक्षा पास कर ली, हालांकि वो आईपीएस नहीं बन पाये लेकिन सशस्त्र सीमा बल के असिस्टेंट कमांडेंट के पद पर चयन हो गया, लेकिन बाद में उन्होने ये नौकरी छोड़ दी, और झारखंड पीसीएस 2016 में पास कर ली, जिसके बाद उन्हें डीएसपी रैंक मिला।