प्रशांत किशोर का जीवन परिचय, मामूली लड़का कैसे बन गया भारतीय राजनीति का चाणक्य?

प्रशांत किशोर का सबसे पहला और सबसे बड़ा चुनावी अभियान गुजरात के सीएम नरेन्द्र मोदी को 2013 विधानसभा चुनाव के लिये मदद करना था, उन्होने मोदी के सामने दो शर्त रखी थी, कि वो भीड़तंत्र का हिस्सा नहीं होंगे, सीधे उन्हें रिपोर्ट करेंगे।

New Delhi, Sep 09 : भारतीय राजनीति के चाणक्य तथा चुनावी गणित के जादूगर कहे जाने वाले प्रशांत किशोर किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं, पीके इन दिनों बिहार में मेहनत कर रहे हैं, खैर आज हम आपको उनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षा के बारे में नहीं बल्कि उनके जीवन के बारे में बताएंगे, कि कैसे वो रणनीतिकार बने, आइये उनके जीवन से जुड़ी कुछ तथ्य आपको बताते हैं।

Advertisement

बिहार में जन्म
वैसे तो पीके का परिवार मूल रुप से बिहार के रोहतास जिले का है, लेकिन उनका जन्म 20 मार्च 1977 को बक्सर में हुआ, उनके पिता श्रीकांत पांडे डॉक्टर थे, उनकी शुरुआती पढाई बक्सर से हुई, फिर पटना चले आये, Prashant Kishor-4 इसके बाद हैदराबाद जाकर शिक्षा हासिल की, उनकी पत्नी जाह्नवी दास पेशे से डॉक्टर है, दोनों ने लव मैरिज की है, दोनों का एक बेटा भी है।

Advertisement

प्रशांत का करियर
अपना ग्रेजुएशन खत्म करने के बाद उन्होने बतौर स्पेशलिस्ट संयुक्त राष्ट्र के लिये अपना योगदान दिया, उनकी पहली पोस्टिंग आंध्र प्रदेश और हैदराबाद में हुई, वहां काम करने के बाद उन्हें पोलियो उन्मूलन कार्यक्रम के लिये बिहार भेज दिया गया। तब राबड़ी देवी मुख्यमंत्री थी, फिर उन्हें संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में काम दिया गया, लेकिन वहां काम करने में ज्यादा मजा नहीं आ रहा था, prashant-kishor (1) इसलिये उन्हें फील्ड वर्क के लिये भेज दिया गया, फिर 6 महीने बाद उन्हें चाड में डिवीजन हेड की पोजिशन दी गई, जहां उन्होने करीब 4 साल तक काम किया। पीके को तब तक कोई नहीं जानता था, किसी को नहीं पता था कि राजनीति में ये शख्स कैसे आया, 2014 में नरेन्द्र मोदी की जीत के बाद उन्हें पहचान मिली, लेकिन 2011 में ही उन्होने नौकरी छोड़कर गुजरात के तत्कालीन सीएम नरेन्द्र मोदी के लिये काम करना शुरु कर दिया था।

Advertisement

कैसे हुई मोदी से मुलाकात
चाड में अपना काम पूरा करने तथा जिनेवा में शिफ्ट होने के बाद उन्होने भारत के समृद्ध उच्च विकास वाले प्रदेशों में कुपोषण के बारे में एक लेख लिखा, जिसमें 4 राज्यों की तुलना की गई थी, इस लेख में सबसे नीचे गुजरात का नाम था, Prashant Kishor जिसके बाद पीके के पास सीएम ऑफिस से फोन आया, उनसे पूछा गया कि आप इतने आलोचक क्यों हैं। बस इसी चर्चा से जुड़ गया मोदी और पीके का साथ, फिर दोनों जुड़े, साथ काम करने लगे।

चुनावी अभियान
प्रशांत किशोर का सबसे पहला और सबसे बड़ा चुनावी अभियान गुजरात के सीएम नरेन्द्र मोदी को 2013 विधानसभा चुनाव के लिये मदद करना था, उन्होने मोदी के सामने दो शर्त रखी थी, कि वो भीड़तंत्र का हिस्सा नहीं होंगे, सीधे उन्हें रिपोर्ट करेंगे, जीत के बाद 2014 लोकसभा चुनाव में फिर मोदी ने उन्हें जिम्मेदारी सौंपी, जिसके बाद उन्होने सोशल मीडिया से लेकर पूरे कैम्पेन का जिम्मा संभाला, यहां भी बीजेपी को प्रचंड जीत मिली, पहली बार बीजेपी की पूर्ण बहुमत की सरकार बनी, हालांकि इसके बाद पीके मोदी से अलग हो गये, फिर 2015 बिहार विधानसभा चुनाव से पहले नीतीश कुमार से हाथ मिला लिया, नीतीश, लालू और कांग्रेस ने मिलकर बिहार में बीजेपी को हराया, फिर 2017 में पंजाब विधानसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार कैप्टन अमरिंदर सिंह के लिये जिम्मेदारी संभाली, वो भी सीएम बने। 2019 में वाईएस जगनमोहन रेड्डी के सलाहकार बने, जिसके बाद उन्होने पार्टी की छवि बदल दी, भारी बहुमत से जीत मिली। 2020 में दिल्ली में केजरीवाल के लिये रणनीति बनाई, वहां भी जीत मिली, फिर 2021 में टीएमसी के लिये पश्चिम बंगाल में कैम्पेनिंग की जिम्मेदारी संभाली, पार्टी ने भारी बहुमत से जीत हासिल की, फिर तमिलनाडु में भी फतह किया, हालांकि इसके बाद उन्होने इस काम से संन्यास का ऐलान किया, फिर कहा गया कि वो कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं, इसके लिये कांग्रेस अध्यक्ष से लंबी बातचीत हुई, लेकिन मामला जमा नहीं, तो फिर बिहार से अपने पार्टी का ऐलान कर दिया, फिलहाल पीके बिहार में पदयात्रा कर रहे हैं। एक अनुमान के मुताबिक प्रशांत किशोर करीब 37 करोड़ रुपये की संपत्ति के मालिक हैं।