संघर्षों से भरी रही मुलायम सिंह यादव का जीवन, ऐसा रहा ‘नेताजी’ बनने का सफर
यूपी के इटावा जिले स्थित सैफई गांव में 22 नवंबर 1939 को मुलायम सिंह यादव का जन्म एक साधारण परिवार में हुआ था, मुलायम राजनीति में आने से पहले शिक्षक थे, जो मैनपुर स्थित जैन इंटर कॉलेज करहल प्रवक्ता पद पर भी कार्यरत थे।
New Delhi, Oct 10 : सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव का निधन हो गया है, गुरुग्राम के एक अस्पताल में उन्होने आखिरी सांस ली, मुलायम सिंह यादव के बेटे अखिलेश यादव हों, या उनके छोटे भाई शिवपाल यादव, दोनों उनकी राजनीतिक विरासत को आगे बढाने का काम कर रहे हैं, नेताजी के लिये यहां तक का सफर आसान नहीं रहा है, क्योंकि वो एक साधारण परिवार में जन्मे थे, लेकिन अपनी मेहनत के बलबूते राजनीति में मुकाम हासिल किया।
संघर्षों से भरी रही धरती पुत्र की जिंदगी
यूपी के इटावा जिले स्थित सैफई गांव में 22 नवंबर 1939 को मुलायम सिंह यादव का जन्म एक साधारण परिवार में हुआ था, मुलायम राजनीति में आने से पहले शिक्षक थे, जो मैनपुर स्थित जैन इंटर कॉलेज करहल प्रवक्ता पद पर भी कार्यरत थे, एक साधारण परिवार में जन्मे मुलायम की शुरुआती जिंदगी मुश्किलों से भरी थी, लेकिन चुनौतियों से निपटना उन्हें अच्छी तरह से आता था, इस बात को उन्होने साबित करके दिखाया, वो मूलतः शिक्षक थे लेकिन शिक्षण कार्य छोड़कर राजनीति में आये, फिर आगे चलकर समाजवादी पार्टी बनाई।
राजनीतिक सफर की शुरुआत
1967 में 28 साल की आयु में मुलायम सिंह यादव संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर पहली बार जसवंत नगर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीते, फिर 1977 में पहली बार राज्य मंत्री बनाये गये, 1980में यूपी में लोकदल के अध्यक्ष भी बनाये गये थे, लोहिया आंदोलन में बढ-चढ कर हिस्सा लेने वाले मुलायम सिंह यादव ने 4 अक्टूबर 1992 को समाजवादी पार्टी की स्थापना की थी।
एक शख्स जिसकी कई पहचान
आम लोगों के बीच मुलायम किसान नेता, नेताजी, धरती पुत्र जैसे नामों से जाने जाते थे, गांव तथा गांव के लोगों के हितों का ध्यान रखने वाले मुलायम सिंह यादव को उनके चाहने वाले नेताजी कहकर बुलाते थे, मुलायम 3 बार यूपी के सीएम रह चुके हैं, एक बार केन्द्रीय रक्षा मंत्री की भी जिम्मेदारी संभाली, 1996 में मुलायम इटावा के मैनपुरी निर्वाचन क्षेत्र से सांसद बने, वो अभी भी मैनपुरी लोकसभा सीट से सांसद थे।