फल बेचने से लेकर अंडरवर्ल्ड तक, जानिये कौन है दाऊद का खासमखास सलीम इकबाल कुरैशी

फल बेचने के दौरान ही उसका पहली बार क्राइम की दुनिया के साथ पहला सफर शुरु हुआ था, सलीम के एक दोस्त ने बताया कि 17 साल की उम्र में सलीम ने नकली गहने, पान के पत्ते तथा अन्य सामान को लेकर पाकिस्तान जाना शुरु कर दिया था।

New Delhi, Oct 17 : कभी फल बेचकर गुजारा करने वाले सलीम की खूंखार दाऊद गैंग में शामिल होने की कहानी बेहद खास है, 2006 में दुबई से गिरफ्तार हुए सलीम को वापस भारत भेजा गया, जहां उसे जबरन वसूली के मामले में गिरप्तार किया गया, मकोका के तहत उसे आरोपित बनाया गया, मोहम्मद सलीम इकबाल कुरैशी दक्षिण मुंबई के एक लोअर मिडिल क्लास में 7 भाई-बहनों में पैदा हुआ था, सलीम ने सैफी हाई स्कूल से स्कूली शिक्षा हासिल की, फिर बुरहानी कॉलेज में दाखिला लिया, हालांकि अपनी उच्च माध्यमिक परीक्षा में फेल होने के बाद फलों की दुकान पर काम करना शुरु कर दिया।

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अपराध का सफर शुरु
फल बेचने के दौरान ही उसका पहली बार क्राइम की दुनिया के साथ पहला सफर शुरु हुआ था, सलीम के एक दोस्त ने बताया कि 17 साल की उम्र में सलीम ने नकली गहने, पान के पत्ते तथा अन्य सामान को लेकर पाकिस्तान जाना शुरु कर दिया था, कहा जाता है कि इसी दौरान वो दाऊद के संपर्क में आया था, जावा किया जाता है कि दुबई की इन यात्राओं के दौरान सलीम सबसे पहले दाऊद के भाई अनीस तथा उसके माध्यम से दाऊद के प्रमुख लेफ्टिनेंट छोटा शकील के संपर्क में आया था, कुछ साल बाद सलीम ने शाजिया से शादी कर ली, जिसकी बहन नजमा की शादी छोटा शकील से हुई है, शकील को गिरोह के सभी दिन-प्रतिदिन के कार्यों को संभालने के लिये जाना जाता है, वो अपने बॉस के साथ ग्लोबल मोस्ट वांटेड सूची में है।

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दुबई चला गया
सलीम ने पहले मुंबई पुलिस को बताया कि शकील से रिश्ता होने के कारण बार-बार जांच एजेंसी उसे परेशान करती थी, जिससे परेशान होकर वो दुबई चला गया, सलीम ने दावा किया कि साल 2000 में दुबई जाने के बाद उसने डीरा में एक सुपरमार्केट स्थापित किया था, हालांकि 2001 में दर्ज एक अवैध वसूली के मामले में आरोपित के रुप में सलीम का नाम आते ही पुलिस को उसके दाऊद गैंग से जुड़े होने के सबूत मिले, सलीम ने जमील हाजी और मोहम्मद साबिर शेख के साथ कथित तौर पर व्यवसायी को धमकी दी, शकील की ओर से 50 लाख रुपये की मांग की गई, पुलिस ने कहा कि कथित तौर पर सलीम ने ही फोन किया था।

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2006 में गिरफ्तार होकर फिर छूटा
साल 2006 में सलीम को दुबई पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया, भारत भेज दिया, जहां उसे जबरन वसूली के मामले में गिरफ्तार किया गया, मकोका 1999 के कड़े प्रावधानों के तहत आरोपित किया गया, हालांकि पर्याप्त साक्ष्य के अभाव में 2010 में सलीम को बरी कर दिया गया, सलीम के दोस्त ने बताया कि छूटने के बाद सलीम ने सऊदी की तीर्थ यात्रा पर जाने के बहाने अपनी विदेश यात्राएं जारी रखी, कथित तौर पर गिरोह के हवाला और जबरन वसूली रैकेट में भी शामिल हो गया।

काली कमाई
जल्द ही सलीम अपने परिवार के साथ अरब गली के मीर अपार्टमेंट में शिफ्ट हो गया, नल बाजार में गरीब नवाज होटल खोल दिया, हालांकि मासूमियत का बहाना बनाने के उसके कथित प्रयास लंबे समय तक नहीं चले, 2016 में एंटी-एक्सटॉर्शन सेल ने 2004 के एक डॉक्टर से 25 लाख रुपये की जबरन वसूली के मामले में 2 आरोपियों को गिरफ्तार किया था, दोनों ने पूछताछ में फोन करने वाले के रुप में सलीम का नाम लिया, इस बार भी गिरफ्तारी के महज 3 महीने बाद ही एक बार फिर सबूतों के अभाव में उसे बरी कर दिया गया।

2014 में बना शीर्ष सदस्य
दाऊद की बहन हसीना की मौत के बाद गिरोह में सलीम का वर्चस्व बढने लगा, गिरोह में सलीम की ताकत बढने के साथ ही उसके कारनामों में भी बढोतरी होने लगी, इसी दौरान क्राइम ब्रांच की एक टीम ने ये भी पाया कि पिछले 3 सालों में सलीम ने चीन, बैंकॉक, सऊदी अरब, श्रीलंका और तुर्की समेत कम से कम 17-18 देशों का दौरा किया है। 2022 में एनआईए ने दाऊद और उसके करीबी सहयोगियों के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियिम 1967 के तहत एक प्राथमिकी दर्ज की गई, मुंबई में डी गिरोह के बचे लोगों पर एक्शन शुरु हुआ, इन गिरफ्तारियों में सलीम भी शामिल था, इन छापों में डी गैंग से जुड़े कई प्रमुख व्यक्तियों को सलाखों के पीछे भेज दिया गया, सभी पर दाऊद की अवैध गतिविधियों को संभालने और उसकी आतंकवादी गतिविधियों के वित्त पोषण के लिये धन इकट्ठा करने का आरोप लगाया गया है।