मल्लिकार्जुन खड़गे- गरीब दलित परिवार में जन्म, 7 साल की उम्र में मां को खोया, सिनेमा थिएटर नौकरी

प्रेस कांफ्रेंस से लेकर संसद में संवाद तक खड़गे हिंदी में करना पसंद करते हैं, 21 जुलाई 1942 को जन्मे मल्लिकार्जुन खड़गे राजनीति में आने से पहले वकालत के पेशे में थे, उनका जन्म कर्नाटक में गरीब परिवार में हुआ था।

New Delhi, Oct 19 : कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिये हुए चुनाव के नतीजों का ऐलान हो गया है, मल्लिकार्जुन खडगे नये चीफ बन गये हैं, कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव में खडगे को 7897 वोट मिले, वहीं शशि थरुर को करीब 1000 वोट मिले, इस तरह मल्लिकार्जुन ने करीब 8 गुना वोट हासिल कर थरुर को हरा दिया है। मल्लिकार्जुन खड़गे कांग्रेस अध्यक्ष बनने वाले दूसरे दलित नेता हो गये हैं, उनसे पहले 1971 में जगजीवन राम कांग्रेस अध्यक्ष बने थे, मल्लिकार्जुन खड़गे का नाता भले ही दक्षिण भारत के राज्य कर्नाटक से है, लेकिन वो अच्छी हिंदी बोल लेते हैं, वो 9 बार विधायक रह चुके हैं, इतना ही नहीं जब 2014 में मोदी लहर में कांग्रेस के कई दिग्गज नेता चुनाव हार गये थे, तब भी खड़गे जीत कर लोकसभा पहुंचे थे, हालांकि वो 2019 लोकसभा चुनाव में हार गये।

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हिंदी में बात
प्रेस कांफ्रेंस से लेकर संसद में संवाद तक खड़गे हिंदी में करना पसंद करते हैं, 21 जुलाई 1942 को जन्मे मल्लिकार्जुन खड़गे राजनीति में आने से पहले वकालत के पेशे में थे, उनका जन्म कर्नाटक में गरीब परिवार में हुआ था, उन्होने स्नातक और वकालत की पढाई की है, मल्लिकार्जुन खड़गे कर्नाटक से आने वाले ऐसे दूसरे व्यक्ति हैं, जिन्होने कांग्रेस अध्यक्ष पद की कमान संभाली है, उनसे पहले कर्नाटक के एस निजालिंगप्पा कांग्रेस अध्यक्ष रह चुके हैं। लगातार 9 बार विधायक बनने वाले 80 वर्षीय खड़गे 50 साल से ज्यादा समय से राजनीति में एक्टिव हैं, उन्हें गांधी-नेहरु का वफादार माना जाता है, हाल ही में उन्होने राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष के पद से इस्तीफा दे दिया है, मल्लिकार्जुन खड़गे महादलित समुदाय से आते हैं, अगर उनकी राजनीति की बात की जाए, तो वो पहले सिर्फ वकालत करते थे, कांग्रेस में शामिल होने से पहले खड़गे बाबा साहेब अंबेडकर से प्रेरित होकर रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया में शामिल हुए थे।

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छात्र संघ से शुरुआत
हालांकि मल्लिकार्जुन ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत एक छात्र संघ के नेता के रुप में की थी, सरकारी कॉलेज गुलबर्ग में उन्हें छात्रसंघ महासचिव के रुप में चुना गया था, 1969 में वो एमएसके मिल्स कर्मचारी संघ के कानूनी सलाहकार बने थे, वो संयुक्त मजदूर संघ के एक प्रभावशाली श्रमिक संघ नेता भी थे, मजदूरों के अधिकारों के लिये लड़ने वाले कई आंदोलनों का नेतृत्व किया, 1969 में वो कांग्रेस में शामिल हो गये, गुलबर्गा सिटी कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बने। मल्लिकार्जुन खड़गे पहली बार 1972 में कर्नाटक राज्य विधानसभा चुनाव लड़ा, वो गुरमीतकल निर्वाचन क्षेत्र से विधायक बने, 1976 में प्राथमिक शिक्षा राज्य मंत्री बनाये गये, 1978 में वो दूसरी बार गुरमीतकल निर्वाचन क्षेत्र से विधायक बने, ग्रामीण विकास तथा पंचायत राज राज्य मंत्री बनाये गये, 1980 में राजस्व मंत्री बने, 1983 में लगातार तीसरी बार इसी सीट से विधायक बने, वो इस सीट से 9 बार विधायक रह चुके हैं, 2009 में गुलबर्गा सीट से लोकसभा चुनाव जीतकर संसद पहुंचे।

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मोदी लहर में भी जीत
मोदी लहर होने के बावजूद 2014 लोकसभा चुनाव में मल्लिकार्जुन खड़गे ने गुलबर्गा संसदीय सीट से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की, उन्होने बीजेपी के अपने निकटतम प्रतिद्वंदी को 13,404 से ज्यादा वोटों से हराया, congress (1) जून में उन्हें लोकसभा में कांग्रेस पार्टी का नेता नियुक्त किया गया, हालांकि खडगे को 2019 में हार गये, बीजेपी उम्मीदवार ने उन्हें 95 हजार से हराया, इसके बाद 2020 में कर्नाटक से राज्यसभा के लिये चुने गये, फरवरी 2021 में उन्हें विपक्ष का नेता चुना गया, उन्होने यूपीए सरकार में कैबिनेट मंत्री का भी जिम्मा संभाला है।

7 साल की उम्र में मां को खोया
मल्लिकार्जुन ख़ड़गे ने 7 साल की उम्र में अपनी मां और परिवार के कुछ सदस्यों को खो दिया था, उन्हें सांप्रदायिक तनाव की वजह से अपने जन्मस्थान को छोड़कर बगल के जिले कलबुर्गी जिसे पहले गुलबर्ग कहा जाता था शिफ्ट होना पड़ा था, उन्होने पढाई का खर्च निकालने के लिये सिनेमा थिएटर में नौकरी भी की, उन्होने पिछले 12 चुनावों में 11 में जीत हासिल की है, वो तीर बार सीएम बनते-बनते रह गये, वो 6 भाषाओं का ज्ञान रखते हैं, मल्लिकार्जुन ने 13 मई 1968 को राधाबाई से शादी की, उनकी दो बेटियां और 3 बेटे हैं।