इंडोनेशिया से ही गुजरात चुनाव को साध गये पीएम मोदी, 3 जिक्र की हो रही खूब चर्चा

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुजरात में संक्रांति के मौके पर होने वाले पतंग उत्सव का जिक्र किया, उन्होने कहा जब मैं यहां पिछली बार जकार्ता में था, तो इंडोनेशिया के लोगों का स्नेह बहुत करीब से देखा था।

New Delhi, Nov 15 : पीएम मोदी जी-20 मीटिंग में शामिल होने के लिये इंडोनेशिया में हैं, यहां बाली में भारतीय मूल के लोगों को संबोधित करते हुए मोदी ने अपनी सरकार के कामकाज गिनाये, उन्होने इंडोनेशिया तथा भारत की सांस्कृतिक जुड़ाव के तमाम पहलुओं का जिक्र किया, गुजरात में विधानसभा चुनाव के बीच 45 घंटे की यात्रा पर गये प्रधानमंत्री मोदी ने बाली से ही अपने गृह राज्य को साधने की भी कोशिश की, पीएम मोदी ने पतंग उत्सव से लेकर द्वारकाधीश तक का जिक्र किया, उन्होने अपने भाषण में तीन बार गुजरात की चर्चा की।

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पतंग उत्सव का जिक्र
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुजरात में संक्रांति के मौके पर होने वाले पतंग उत्सव का जिक्र किया, उन्होने कहा जब मैं यहां पिछली बार जकार्ता में था, तो इंडोनेशिया के लोगों का स्नेह बहुत करीब से देखा था, महसूस किया था, राष्ट्रपति जोको विडोडो जी के साथ पतंग उड़ाने में जो मजा आया था, वो अद्भुत था, मेरी तो गुजरात में संक्रांति पर पतंग उड़ाने की खास ट्रेनिंग रही है।

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द्वारकाधीश
मोदी ने कहा की बाली का जन-जन महाभारत की गाथाओं के साथ बड़ा होता है, मैं तो द्वारकाधीश भगवान कृष्ण की धरती गुजरात में पला-बढा हूं, मेरा तो जीवन वहीं बीता है, बाली के लोगों की जैसी आस्था महाभारत के लिये है, krishna भारत में लोगों की वैसी आत्मीयता बाली के लोगों के लिये भी है, आप यहां भगवान विष्णु की अराधना करते हैं, हम जब भारत में भगवान राम की जन्मभूमि पर भव्य राम मंदिर की नींव रखते हैं, तो इंडोनेशिया की रामायण परंपरा को भी गर्व से याद करते हैं।

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योग और आयुर्वेद
योग और आयुर्वेद की बात करते हुए मोदी ने कहा भारत का योग और आयुर्वेद पूरी मानवता के लिये तोहफा है, जब आयुर्वेद की बात आई है, तो मुझे भारत और इंडोनेशिया के एक और जुड़ाव का ध्यान आ रहा है, जब मैं गुजरात का मुख्यमंत्री था, तो गुजरात आयुर्वेदिक यूनिवर्सिटी और यहां की हिंदू इंडोनेशिया यूनिवर्सिटी के बीच समझौता हुआ था, मुझे खुशी है कि इसके कुछ ही सालों के बाद यहां की यूनिवर्सिटी में आयुर्वेद हॉस्पिटल की भी स्थापना हुई, बाली में शायद ही ऐसा कोई व्यक्ति नहीं होगा, जिसकी अभिलाषा जीवन में एक बार अयोध्या या द्वारकाधीश जाने की नहीं होगी।