अरुणाचल के तवांग में चीनी साजिश की Inside Story?, भारतीय सेना ने बयान जारी कर बताई पूरी बात

अरुणाचल प्रदेश के तवांग में भारतीय सेना तथा चीन की सेना के बीच झड़प उस समय हुई, जब वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन से सैनिक यांग्त्से की ओर बढ रही थे, तभी दोनों ओर से हाथापाई और धक्कामुक्की भी हुई।

New Delhi, Dec 13 : अरुणाचल प्रदेश के तवांग में भारत तथा चीन के सैनिकों के बीच झड़प हुई है, जिसके बाद भारतीय सेना की ओर से बयान जारी कर बताया गया है कि 9 दिसंबर को वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन के सैनिक यांग्त्से की तरफ बढे थे, लेकिन इस इलाके में पेट्रोलिंग कर रही भारतीय टुकड़ी ने देख लिया, चीन की घुसपैठ को रोक दिया।

Advertisement

दोनों के सैनिक जख्मी
अरुणाचल प्रदेश के तवांग में भारतीय सेना तथा चीन की सेना के बीच झड़प उस समय हुई, जब वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन से सैनिक यांग्त्से की ओर बढ रही थे, तभी दोनों ओर से हाथापाई और धक्कामुक्की भी हुई,  जिसमें दोनों देशों के सैनिकों को चोटें भी आई है, बताया जा रहा है कि झड़प में भारतीय सेना के 6 से 7 जवान जख्मी हुए हैं, जिन्हें गुवाहाटी के अस्पताल में भर्ती कराया गया है, वहीं चीन के 9 से 10 सैनिक जख्मी हुए हैं।

Advertisement

अब कैसे हैं एलएसी पर हालात
भारतीय सेना तथा चीन की सेना के बीच झड़प के बाद भारतीय सेना की ओर से बयान जारी किया गया है, जिसमें कहा गया है कि अब एलएसी पर हालात सामान्य है, सेना के बयान के मुताबिक झड़प के बाद दोनों देशों के बीच फ्लैग मीटिंग भी हुई है, जिसके बाद वास्तविक नियंत्रण रेखा से चीम के सैनिक पीछे हट गये हैं। सूत्रों का दावा है कि चीन की ओर से 300 से ज्यादा सैनिक भारतीय सेना में तवांग की ओर बढे थे, लेकिन चीन के सैनिकों को भारत की ताकत का अंदाजा नहीं था, भारत की ओर से चीन करारा जवाब मिला, जिसमें चीन को भारी नुकसान हुआ है, इस बार भारतीय सेना की नजर चीन की हरकतों पर पहले से थी।

Advertisement

पहले भी कर चुका है घुसपैठ की कोशिश
विस्तारवाद की सनक पाले चीन ने पहले भी घुसपैठ वाली घिनौनी हरकत करने की कोशिश की है, तवांग कोई पहला मौका नहीं है, जब चीन और भारत की सेना के बीच घमासान हुआ हो, इससे पहले गलवान और पेंगोंग में भी दोनों ओर से सेना आमने-सामने आ गई थी, इससे पहले जून 2020 में भारत तथा चीन की सेनाओं के बीच गलवान घाटी में झड़प हुई थी, India china जिसमें कर्नल संतोष बाबू समेत भारत की सेना के 20 जवान शहीद हो गये थे, इस झड़प में 40 से ज्यादा चीनी सैनिक मारे गये थे, फिर 29-30 अगस्त को पैंगोंग झील के दक्षिणी हिस्से में भी चीन की ओर से घुसपैठ की कोशिश हुई थी, जहां भारतीय सेना पहले से डटी थी, लिहाजा चीन की हर चाल बेकार गई, हालांकि दोनों ओर से बड़े स्तर पर वार्ता होती रही है, अब तक दोनों ओर से मामला शांत ही रहा था।