मां ने दूध बेच पाला, बेटा बना बागेश्वर धाम का पीठाधीश्वर, धीरु से ऐसे बना धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री

बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री का जन्म एमपी के छतरपुर जिले में 1996 में हुआ था, धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री छतरपुर के गढा गांव के रहने वाले हैं।

New Delhi, Jan 20 : बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री अपने बयानों को लेकर सोशल मीडिया पर लगातार चर्चा में बने हुए हैं, हर कोई जानना चाहता है कि धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री अचानक इतने फेमस कैसे हो गये, उनका शुरुआती जीवन कैसा था, वो कथावाचक कैसे बने, उन्होने पहली बार कथा कब और कहां सुनाई, कथावाचक बनने की प्रेरणा उनको किससे मिली, रिपोर्ट्स के अनुसार एक बार धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री के परिवार को आर्थिक संकट का सामना भी करना पड़ा था, तब उनकी मां ने भैंस का दूध बेचकर उनका पालन-पोषण किया, धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री की मां उनको बचपन से धीरु कहकर बुलाती हैं, आइये जानते हैं कि धीरु से बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर कैसे बने।

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कहां के रहने वाले
रिपोर्ट के अनुसार बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री का जन्म एमपी के छतरपुर जिले में 1996 में हुआ था, धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री छतरपुर के गढा गांव के रहने वाले हैं, पीठाधीश्वर बनने से पहले सभी लोग उनके धीरेन्द्र गर्ग के नाम से जानते थे, धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री की एक बहन और भाई भी हैं, भाई का नाम सालिग राम गर्ग तथा बहन का नाम रीता गर्ग है।

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ऐसे बीता बचपन
धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री बचपन से ही हठीले, चंचल, चतुर स्वाभाव के थे, धीरेन्द्र की शुरुआती पढाई सरकारी स्कूल से हुई, हाई स्कूल और इंटरमीडिएट की पढाई भी उन्होने गांव के ही एक स्कूल से की, धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री के पिता पूजा-पाठ का काम करवाकर परिवार का गुजारा करते थे, हालांकि घर में बंटवारा होने के बाद उनके परिवार पर आर्थिक संकट छा गया, इस दौरान उनकी मां ने भैंस का दूध बेचकर परिवार का गुजारा किया।

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कथावाचक बनने का सफर
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कम उम्र से ही धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने गांव में लोगों को कथा सुनाना शुरु कर दिया था, धीरे-धीरे कथा सुनाने में वो निपुण हो गये, 2009 में उन्होने पहली बार भागवत कथा पास के ही एक गांव में सुनाई, जिससे फेमस होने लगे, हालांकि बुलडोजर वाले बयान के बाद उन्हें ज्यादा प्रसिद्धि मिली है, तब से वो लगातार चर्चा में बने हुए हैं। आपको बता दें कि दूसरों को प्रभावित करने की क्षमता धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री में बचपन से ही थी, उनके गांव में स्थित बागेश्वर मंदिर पर 2016 में विशाल यज्ञ का आयोजन किया गया था, जिसमें भगवान बाला जी महाराज की मूर्ति का स्थापना भी की गई थी, तभी से ये जगह बागेश्वर धाम के नाम से मशहूर हो गई है, बड़ी संख्या में यहां श्रद्धालु दर्शन के लिये आते हैं।