आप विधायक को नगर निगम में लीगल एडवाइजर बनाने का प्रस्ताव, सैलरी इतनी

प्रस्ताव में कहा गया है कि इस उद्देश्य के लिये मेयर बलकार सिंह संधू द्वारा एक कमेटी बनाई गई थी, कमेटी द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट के मुताबिक ये निर्णय लिया गया था कि आउटसोर्सिंग के जरिये नियुक्त किये जाने वाले व्यक्ति को हर महीने 54 हजार रुपये का भुगतान किया जाएगा।

New Delhi Feb 24 : पंजाब की आम आदमी पार्टी सरकार फिर से सवालों के घेरे में हैं, प्रदेश के लुधियाना शहर में नगर निगम में आप विधायक के बेटे को लीगल एडवाइजर बनाये जाने के प्रस्ताव को लेकर विवाद खड़ा हो गया है, इसके बाद से विपक्षी दल चयन प्रक्रिया पर सवाल खड़े कर रहा है। आइये पूरा मामला जानते हैं।

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क्या है मामला
ये मामला लुधियाना नॉर्थ से विधायक मदन लाल बग्गा से जुड़ा हुआ है, court लुधियाना नगर निगम की वित्त और संविदात्मक समिति ने मदन लाल बग्गा के बेटे गौरव को एक निजी कंपनी के जरिये नगर निगम में लीगल एडवाइजर के रुप में नियुक्त करने का प्रस्ताव पारित किया है। जनवरी में पास किये गये इस प्रस्ताव के मुताबिक लीगल एडवाइजर का वेतन 54 हजार रुपये महीना तय किया है।

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लीगल सेवाएं
प्रस्ताव के मुताबिक लुधियाना नगर निगम से जुड़े करीब 250 केस हाई कोर्ट में पेंडिंग है, COURT इसके अलावा 615 मामले निचली अदालतों में हैं, पंजाब सरकार ने एचआर आउटसोर्सिंग प्राइवेट लिमिटेड कंपनी ग्रेटिस इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के साथ 2024 तक का करार किया है, इसलिये जब तक नगर निगम स्थायी आधार पर एक रेगुलर लीगल एडवाइजर की भर्ती नहीं करती, तब तक ये कंपनी आउटसोर्सिंग के जरिये लीगल सेवाएं देगी।

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नियुक्ति पर सवाल
प्रस्ताव में कहा गया है कि इस उद्देश्य के लिये मेयर बलकार सिंह संधू द्वारा एक कमेटी बनाई गई थी, कमेटी द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट के मुताबिक ये निर्णय लिया गया था कि आउटसोर्सिंग के जरिये नियुक्त किये जाने वाले व्यक्ति को हर महीने 54 हजार रुपये का भुगतान किया जाएगा, ये भुगतान सीनियर एडवोकेट अशोक बजाज की सैलरी के बराबर होगा, जो वर्तमान में कई मामलों में नगर निगम की ओर से पेश हो रहे हैं। इस नियुक्ति के बारे में इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए लुधियाना के मेयर बलकार सिंह ने कहा कि हमने गौरव खुराना को एक निजी कंपनी के जरिये आउटसोर्स लीगल एडवाइजर के रुप में नियुक्त करने का प्रस्ताव दिया है, ना कि नगर निगम के नियमित कर्मचारी के रुप में, अब ये सरकार पर निर्भर है कि वो इसे मंजूरी देती है या नहीं, बलकार सिंह कांग्रेस से जुड़े हुए हैं, हालांकि दूसरी तरफ विपक्षी नेता इस पर सवाल खड़े कर रहे हैं, विपक्ष का दावा है कि आप के विधायक को हेर-फेर का फायदा पहुंचाया गया है।