25 कमरों का बंगला, सातों दिन अलग कार, लेकिन एक फैसला और एक्टर का सबकुछ बर्बाद
भगवान दादा ने अपने दौर में कई अच्छी फिल्मों में काम किया, इस बीत उन्होने फिल्म हंसते रहना बनाने की सोची, जो उनकी जिंदगी का सबसे गलत फैसला साबित हुआ।
New Delhi, Mar 24 : बॉलीवुड में एक से बढकर एक लीजेंड स्टार्स हुए, इन्हीं में से एक थे भगवान दादा, जिनका जन्म साल 1913 में महाराष्ट्र के अमरावती के एक बेहद गरीब परिवार में हुआ था, वहीं आगे चलकर भगवान दादा पिल्म इंडस्ट्री के सबसे अमीर कलाकार भी बने थे, हालांकि जब बुरा दौर आता है, तो दबे पांव इंसान का सबकुछ ले जाता है, कुछ ऐसा ही भगवान दादा के साथ भी हुआ था, वो अपने बुढापे में मुंबई के एक चॉल में रहे, कैसे एक मामूली परिवार का लड़का अमीर कलाकार बना, फिर तंगहाली में जीवन जिया, आइये इस बारे में आपको बताते हैं।
25 कमरों के घर में रहते थे
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें, तो भगवान दादा कभी जुहू में समंदर के ठीक सामने 25 कमरों के बड़े और आलीशान घर में रहा करते थे, भगवान दादा की रईसी के जलवे ऐसे थे कि उस जमाने में जब लोगों के पास कार होना ही बड़ी बात मानी जाती थी, तब उनके पास 7-7 कारें थी।
अलग-अलग कार से घूमते थे
बताया जाता है कि भगवान दादा इतने शौकीन थे, कि सातों दिन अलग-अलग कारों से घूमा करते थे, कुल मिलाकर भगवान दादा की जिंदगी में सबकुछ ठीक चल रहा था, लेकिन साथ ही वक्त उनकी बर्बादी की तरफ करवट भी ले रहा था।
एक भूल से बर्बाद हुए भगवान दादा
भगवान दादा ने अपने दौर में कई अच्छी फिल्मों में काम किया, इस बीत उन्होने फिल्म हंसते रहना बनाने की सोची, जो उनकी जिंदगी का सबसे गलत फैसला साबित हुआ, उन्होने इस फिल्म के निर्माण में अपनी पूरी जमा पूंजी लगा दी थी, फिल्म में हीरो किशोर कुमार थे, कहा जाता है कि किशोर कुमार के नखरों के चलते ये फिल्म कभी पूरी ही नहीं हो सकी थी, जिसकी वजह से भगवान दादा को बड़ा घाटा उठाना पड़ा, वो फिर कभी इस घाटे से उबर नहीं पाये, बेहद तंगहाली में उनका आखिरी समय कटा, अपने आखिरी समय में वो मुंबई की एक चॉल में रहने को मजबूर हो गये थे।