राजू पाल से कैसे शुरु हुई अतीक अहमद की अदावत?, पूरा सियासी सफरनामा

2004 लोकसभा चुनाव ही अतीक अहमद तथा सपा के पूर्व विधायक राजू पाल की दुश्मनी की वजह बना, 2004 में सांसद बनने के बाद अतीक अहमद की इलाहाबाद पश्चिमी सीट खाली हो गई, इस सीट पर उपचुनाव हुए।

New Delhi, Apr 13 : यूपी एसटीएफ ने उमेश पाल हत्याकांड के आरोपित तथा बाहुबली अतीक अहमद के छोटे बेटे असद अहमद को एनकाउंटर में मार गिराया है, ये एनकाउंटर झांसी में हुआ, उमेश पाल केस के बाद से ही असद अहमद फरार चल रहा था, पुलिस ने उसे वांटेड घोषित कर रखा था, असद पर 5 लाख रुपये का ईनाम भी था। उमेश पाल केस में यूपी विधानसभा में इसी मसले पर सीएम योगी आदित्यनाथ तथा विपक्ष के नेता अखिलेश यादव के बीच तीखी नोंक-झोंक हुई थी, यूपी सीएम ने कहा था कि उनकी सरकार अतीक अहमद जैसी माफियाओं को मिट्टी में मिला देगी।

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1989 में शुरु की थी सियासत
बाहुबली अतीक अहमद इन दिनों गुजरात के साबरमती जेल में बंद है, 2016 के प्रयागराज के एग्रीकल्चरल रिसर्च इंस्टीट्यूट के प्रोफेसर हत्याकांड में सजा काट रहा है, 5 बार विधायक तथा 1 बार सांसद रह चुके अतीक अहमद की राजनीतिक यात्रा 1989 में शुरु हुई थी, atiq ahmad अतीक 1989 में पहली बार इलाहाबाद पश्चिमी सीट से निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरा, और जीत हासिल की, फिर अगले 2 विधानसभा चुनाव भी निर्दलीय ही इस सीट से जीतता रहा, 1996 में समाजवादी पार्टी ज्वाइन कर ली, सपा के टिकट पर चौथी बार इसी सीट से चुनाव जीतने में सफल रहा।

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सपा से ईनाम में मिली फूलपुर सीट
हालांकि बाद में अतीक और सपा के रिश्तों में खटास आई, 3 साल बाद अतीक ने अपना दल ज्वाइन कर लिया, 2002 विधानसभा चुनाव में भी इस सीट से जीतने में सफल रहा, बाद में अतीक अहमद के समाजवादी पार्टी के साथ रिश्ते सुधरे, तो दोबारा सपा में वापसी हुई, समाजवादी पार्टी ने अतीक को इसका ईनाम भी दिया, 2004 लोकसभा चुनाव में फूलपुर जैसी महत्वपूर्ण सीट से चुनावी मैदान में उतारा, आपको बता दें कि फूलपुर से कभी देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरु चुनाव लड़ा करते थे, अतीक इसी सीट से जीतकर संसद पहुंचा।

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कैसे शुरु हुई राजू पाल से दुश्मनी
2004 लोकसभा चुनाव ही अतीक अहमद तथा सपा के पूर्व विधायक राजू पाल की दुश्मनी की वजह बना, 2004 में सांसद बनने के बाद अतीक अहमद की इलाहाबाद पश्चिमी सीट खाली हो गई, इस सीट पर उपचुनाव हुए, तो अतीक ने अपने भाई अशरफ को चुनावी मैदान में उतारा, तो राजू पाल बसपा के टिकट पर चुनाव जीत गये। अतीक अहमद के लिये ये बड़ा झटका था, क्योंकि इलाहाबाद पश्चिमी सीट उसका गढ थी, यहीं से अतीक और राजू पाल की अदावत शुरु हुई, चुनाव के चंद दिनों बाद ही 25 जनवरी 2005 को राजू पाल की उनके घर के पास गोली मारकर हत्या कर दी गई, फिर राजू पाल की पत्नी ने अतीक अहमद, उसके भाई अशरफ और 7 लोगों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कराया था, उमेश पाल राजू का साला था, जो राजू पाल हत्याकांड में मुख्य चश्मदीद गवाह था, हाल ही में उमेश पाल और उसके गनर की दिन दहाड़े हत्या कर दी गई।

पीएम मोदी के खिलाफ लड़ा चुनाव
अतीक अहमद ने तमाम दबाव के बाद 2008 में सरेंडर किया, फिर 2012 में रिहा हो गया, उसके बाद 2014 लोकसभा चुनाव में सपा के टिकट पर मैदान में उतरा, लेकिन हार मिली, 2019 चुनाव में वाराणसी सीट से पीएम मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ा, तो सिर्फ 855 वोट मिले। रिपोर्ट के मुताबिक 60 वर्षीय अतीक अहमद पर हत्या, हत्या की कोशिश, धमकाने तथा मारपीट के 70 से ज्यादा मुकदमे दर्ज है। 2017 में यूपी पुलिस ने अतीक को गिरफ्तार किया था, तब से जेल में है, यूपी सरकार उसकी कई संपत्तियों पर बुलडोजर चला चुकी है।