शनि देव हैं लोगों के सच्चे मित्र, कृपा पाने का ये है अचूक उपाय
शास्त्रों में भी कहा गया है कि हितं मनोहारी च दुर्लभ वचः अर्थात हितकारी वचन कभी भी मधुर नहीं हो सकते, मित्र भी वही सच्चा है, जो हमारी कमियों को मजबूती के साथ बता सके।
New Delhi, Jun 09 : शनि देव को लोग क्रूर ग्रह कहते हैं, किंतु ऐसा नहीं है, वो न्याय के देवता है, वो मनुष्यों के गलती करने पर सुधरने का पूरा मौका देते हैं, यदि व्यक्ति फिर भी नहीं मानता है, तो उसे दंड देने में किसी भी तरह का संकोच नहीं करते हैं, मनुष्यों के गलती करने पर शनि देव के संकेत किसी को भी अच्छे नहीं लगते हैं।
निंदक नियरे राखिए
शास्त्रों में भी कहा गया है कि हितं मनोहारी च दुर्लभ वचः अर्थात हितकारी वचन कभी भी मधुर नहीं हो सकते, मित्र भी वही सच्चा है, जो हमारी कमियों को मजबूती के साथ बता सके, संत कबीर दास जी ने इस बारे में कहा था निंदक नियरे राखिए आंगन कुटि छवाए यानि निंदा करने वाले को अपने ही घर के आंगन में रखना चाहिये।
सच्चे मित्र
शनि देव भी सच्चे मित्र की तरह व्यवहार करते हैं, हम राजी से मानें, तो ठीक है, नहीं तो शनि देव तो दंड देकर भी सुधार करवा देते हैं, जब किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि की साढेसाती चलती है, तो शनि देव व्यक्ति के बीते काल के कर्मों का अवलोकन करने लगते हैं, एक तरह से वो ऑडिट करते हैं, तथा ऑडिट में यदि किसी तरह की गड़बड़ी पकड़ में आई, तो उस गलती के मुताबिक सजा मिलना भी तय है।
कर्म के मुताबिक फल
व्यक्ति के जिस तरह के कर्म होते हैं, शनि देव उसके कर्मों के मुताबिक ही फल देते हैं, वो कठोर और परिश्रमी है, यूं तो शनि देव सूर्य पुत्र हैं, लेकिन पुत्र होने के बाद भी सूर्य देव तथा शनि के बीच शत्रुता पूर्व संबंध माना जाता है। हालांकि शत्रु शब्द उचित नहीं है, क्योंकि पिता तथा पुत्र कभी भी शत्रु नहीं हो सकते हैं, हां वैचारिक मतभेद के कारण उनका स्वाभाव विपरीत है, जिसे लोग शत्रुवत समझते हैं, शनि को प्रसन्न करने के लिये आपको सदैव कठोर परिश्रम करना होगा।
(डिस्क्लेमर- यहां दी गई जानकारियां सामान्य मान्यताओं पर आधारित है, हम इसकी सत्यता की पुष्टि नहीं करते हैं।)