नहीं रहे तारक सिन्हा, शिखर धवन के उस्ताद जी, तो ऋषभ पंत के ‘पिता’
तारक सिन्हा ने ना सिर्फ घरेलू बल्कि अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में भी अपनी पहचान बुलंद की, आप नाम गिनते-गिनते थक जाएंगे, लेकिन खिलाड़ियों की फेहरिस्त कम नहीं होगी, उन्होने करीब 5 दशक तक जमीनी स्तर पर क्रिकेट खिलाड़ियों को तैयार करने का काम किया।
New Delhi, Nov 06 : भारत के एक-दो नहीं बल्कि दर्जन भर से ज्यादा नामचीन क्रिकेट खिलाड़ी देने वाले कोच तारक सिन्हा का निधन हो गया है, वो लंबे समय से कैंसर से जूझ रहे थे, वो आखिरी सांस तक सिर्फ क्रिकेट के बारे में ही सोचते रहे, इसलिये ऋषभ पंत, शिखर धवन और आशीष नेहरा जैसे भारतीय क्रिकेट सितारों को तराशने वाले तारक सिन्हा ने कभी शादी नहीं की, उनका पहला और आखिरी प्यार क्रिकेट रहा, वो अपने पीछे अंतरराष्ट्रीय और घरेलू क्रिकेट में परचम बुलंद करने वाले शिष्यों की लंबी फौज छोड़कर गये हैं, वो दिल्ली में सोनेट क्रिकेट क्लब चलाते थे, जिसमें क्रिकेट का ककहरा सीखने वाले स्टार से लेकर युवा खिलाड़ियों तक के लिये वो उस्ताद जी थे, जिस तरह मुंबई क्रिकेट में रमाकांत आचरेकर की पहचान थी, ठीक वैसा ही रुतबा तारक सिन्हा का दिल्ली में था।
कई सितारे तराशे
तारक सिन्हा ने ना सिर्फ घरेलू बल्कि अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में भी अपनी पहचान बुलंद की, आप नाम गिनते-गिनते थक जाएंगे, लेकिन खिलाड़ियों की फेहरिस्त कम नहीं होगी, उन्होने करीब 5 दशक तक जमीनी स्तर पर क्रिकेट खिलाड़ियों को तैयार करने का काम किया, शुरुआती दौर में उन्होने दिल्ली क्रिकेट के दिग्गजों में शुमार सुरिंदर खन्ना, मनोज प्रभाकर, रमन लांबा, अजय शर्मा, अतुल वासन और संजीव शर्मा जैसे खिलाड़ियों को तराशा, जो टीम इंडिया के लिये भी खेले, 1980 से 1990 के दशक में घरेलू क्रिकेट के दिग्गज बल्लेबाजों में शामिल रहे केपी भास्कर भी तारक की एकेडमी से ही निकले थे, भास्कर ने 95 फर्स्ट क्लास मैच में 52 से ज्यादा के औसत से 5443 रन बनाये थे।
बीसीसीआई ने बेहतर इस्तेमाल नहीं किया
1990 के दशक के बाद का वो समय था, जब उन्होने भारतीय क्रिकेट टीम को कई शानदार खिलाड़ी दिये, जिसमें आकाशा चोपड़ा, महिला क्रिकेट टीम की पूर्व कप्तान अंजुम चोपड़ा, ऑलराउंडर रुमेली धर के साथ तेज गेंदबाज आशीष नेहरा, शिखर धवन शामिल थे, इसके बाद उनकी एकेडमी से ऋषभ पंत निकले, जिन्होने बेहद कम उम्र में अपने बेखौफ बल्लेबाजी के दम पर इंटरनेशनल क्रिकेट में अलग पहचान बनाई, हालांकि खेल की गहरी समझ और खिलाड़ियों को तराशने का बेहतरीन हुनर होने के बावजूद बीसीसीआई ने कभी तारक का बेहतर इस्तेमाल नहीं किया, उन्हें एक बार महिला क्रिकेट टीम का कोच बनाया गया था, तब उन्होने मिताली राज, झूलन गोस्वामी जैसे खिलाड़ियों के साथ काम किया था।
क्रिकेट के कारण शादी नहीं की
तारक सिन्हा के लिये सोनेट क्लब परिवार जैसा था, वो क्रिकेट के प्रति इतने समर्पित थे, कि उन्होने कभी शादी के बारे में सोचा भी नहीं, वो हमेशा ऐसे खिलाड़ियों की तलाश में रहते थे, जिन्हें भारतीय क्रिकेट के नये सितारे के तौर पर तराशा जा सके, वो जितना क्रिकेट से प्यार करते थे, उतना ही ध्यान अपने क्लब में आने वाले बच्चों की पढाई पर भी देते थे, इसलिये स्कूल-कॉलेज की परीक्षा के समय कोई छात्र क्रिकेट कोचिंग के लिये आता था, तो वो उसे वापस भेज देते थे, पेपर खत्म होने के बाद दोबारा आने के लिये कहते थे, क्योंकि उन्हें पता था कि हर बच्चा धवन, पंत या आशीष नेहरा नहीं बन सकता, इसलिये उसके पास प्लान बी होना जरुरी है।
पंत से था खास रिश्ता
ऋषभ पंत इंटरनेशनल क्रिकेट में अपनी पहचान बना चुके हैं, उन्हें भी क्रिकेट का ककहरा तारक सिन्हा ने सिखाया था, ऋषभ रुडकी से दिल्ली अपनी मां के साथ ट्रेनिंग के लिये आते थे, उसी दौरान तारक ने असिस्टेंट से पंत के खेल पर नजर रखने को कहा, पंत की प्रतिभा को भांपकर तारक ने ही उन्हें दिल्ली के स्कूल में एडमिशन दिलाया, उनके रहने, खाने-पीने का पूरा इंतजाम किया, ताकि वो अपना ध्यान क्रिकेट पर लगा सकें, एक इंटरव्यू में पंत ने अपनी जिंदगी में कोच तारक सिन्हा की अहमियत बताई, तब पंत ने कहा था, तारक सर मेरे लिये पिता जैसे नहीं बल्कि पिता ही हैं, पंत ने इतने कम समय में जो बुलंदी हासिल की है, उससे तारक भी काफी खुश थे। तारक सिन्हा सख्त मिजाज कोच थे, वो किसी भी बच्चे को गलती पर फटकार लगाने से भी गुरेज नहीं करते थे, लेकिन फिर भी वो अपने शिष्यों के चहेते थे, आज सभी नम आंखों से उन्हें विदाई दे रहे हैं।