महाराष्ट्र में बीजेपी की इस जीत पर खामोश क्यों हैं शत्रुघ्न सिन्हा, क्यों नहीं देते कोई ज्ञान ?
गुरदासपुर लोकसभा के उपचुनाव में बीजेपी की करारी हार पर शत्रुघ्न सिन्हा ने अपने ज्ञान के सभी छिद्र खोल दिए थे। लेकिन, महाराष्ट्र पर वो चुप क्यों हैं ?
New Delhi Oct 18 : किसी भी नेता को किसी भी चुनाव को छोटा या बड़ा समझने की भूल कतई नहीं करनी चाहिए। अभी एक आध दिन पहले की बात है जब बीजेपी के सांसद शत्रुघ्न सिन्हा ने अपनी ही पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। शत्रुघ्न सिन्हा ने पंजाब के गुरदासपुर लोकसभा के चुनाव में पार्टी की करारी हार को लेकर पार्टी के नेताओं को ढेर सारा ज्ञान दिया था और नसीहत भी दी थी। अच्छी बात है पार्टी के नेता और शुभचिंतक होने के नाते उन्हें ऐसा करना भी चाहिए था। उनका पूरा हक है। लेकिन, सवाल ये है कि शत्रुघ्न सिन्हा गुरदासपुर की हार पर ज्ञान तो दे सकते हैं लेकिन, महाराष्ट्र में पार्टी की जीत पर क्या उसे शुभकामनाएं तक नहीं दे सकते ? आखिर वो महाराष्ट्र में अपनी ही पार्टी की जीत पर खामोश क्यों हैं।
हो सकता है कि शत्रुघ्न सिन्हा को लगता हो कि वो गुरदासपुर लोकसभा सीट को महाराष्ट्र के जिला पंचायत चुनावों से कैसे जोड़ सकते हैं। दोनों की तुलना कैसे कर सकते हैं। लोकसभा का चुनाव तो बड़ा होता है और जिला पंचायत का चुनाव तो बहुत छोटा है। इसी लिए इस लेख में नेताओं को सबसे पहली लाइन में ही ये सलाह दी गई है कि उन्हें किसी भी चुनाव को छोटा या बड़ा नहीं समझना चाहिए। महाराष्ट्र में जो 2974 सीटों पर पंचायत के चुनाव हुए थे उसके नतीजे आ चुके हैं। इसमें 1457 सीटों पर बीजेपी ने कब्जा कर सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर अपनी बादशाहत बरकरार रखी है। वहीं दूसरे नंबर पर कांग्रेस पार्टी रही। कांग्रेस पार्टी को इन चुनावों में 301 सीटों पर जीत मिली है।
पिछले कई महीनों से गुमान में जी रही शिवसेना को भी इन नतीजों से सबक लेना चाहिए। शिवसेना इन चुनावों में तीसरे नंबर पर रही है। उसे सिर्फ 222 सीटें ही मिली हैं। जबकि एनसीपी 194 सीटों के साथ चौथे नंबर पर है। महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी की ये शानदार सफलता है जिस पर शत्रुघ्न सिन्हा देवेंद्र फडणवीस और पार्टी के दूसरे नेताओं को सोशल मीडिया के माध्यम से ही बधाई दे सकते थे। लेकिन, ना जाने उन्होंने ऐसा क्यों नहीं किया। पहले फेस के जब नतीजे सामने आए थे तो खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पार्टी कार्यकर्ताओं को बधाई दी थी और उन्हें शुभकामनाएं भी दी थी। लेकिन, इसके बाद भी शत्रुघ्न सिन्हा खामोश ही रहे। बेहतर होता कि वो इस पर भी कुछ बोलते है।
हो सकता है कि शत्रुघ्न सिन्हा के पास इस जीत की जानकारी ना पहुंची हो लेकिन, कम से कम उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का वो ट्वीट तो जरूर पढ़ा होगा जिसमें उन्होंने लिखा था कि “ग्राम पंचायत चुनाव के दूसरे फेस में शानदार परिणाम, धन्यवाद महाराष्ट्र। बीजेपी में लगातार विश्वास कठिन परिश्रम करने के लिए प्रेरित करता है।” क्या शत्रुघ्न सिन्हा ने इस ट्वीट को भी नजरअंदाज कर दिया। ऐसा ना करके वो अपनी विश्वसनीयता ही खोते जा रहे हैं। अगर शत्रुघ्न सिन्हा बीजेपी की हार पर उसे खरी-खोटी सुना सकते हैं तो उन कार्यकर्ताओं का पूरा हक है कि उन्हें शाबासी मिले जिन्होंने कहीं दूसरी जगह जीत हासिल की है। इसे राजनैतिक बैंलेंस बना रहता है। ऐसे में ये सवाल जरूर उठेगा कि क्या शत्रुघ्न सिन्हा को सिर्फ बीजेपी की हार या फिर रार वाली खबरों पर ही टिप्पणी करने में मजा आता है?