मनरेगा में मजदूरी कर गुजारा कर रहे टीम इंडिया के पूर्व कप्तान, कहा जिंदगी का सबसे मुश्किल दौर

राजेन्द्र सिंह धामी क्रिकेट के साथ-साथ पढाई भी कर चुके हैं, उन्होने इतिहास विषय में मास्टर डिग्री पूरी करने के साथ-साथ बीएड की डिग्री भी ले चुके हैं।

New Delhi, Jul 30 : टीम इंडिया के दिव्यांग क्रिकेटर राजेन्द्र सिंह धामी कोरोना काल में परिवार का गुजारा करने के लिये मनरेगा में मजदूरी कर रहे हैं, तीस वर्षीय राजेन्द्र भारती. व्हीलचेयर क्रिकेट टीम के कप्तान रह चुके हैं, वो मौजूदा समय में उत्तराखंड व्हीलचेयर क्रिकेट टीम के कप्तान भी हैं, कोरोना लॉकडाउन के दौरान उनके पास इनकम का कोई स्त्रोत नहीं है, इसी वजह से वो मजदूरी करके अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं, राजेन्द्र 90 फीसदी दिव्यांग हैं, करीब तीन साल की उम्र में उन्हें लकवा मार गया था, इसके बावजूद उन्होने हिम्मत नहीं हारी और क्रिकेट के मैदान पर अपने प्रदर्शन से कई पुरस्कार जीते।

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पढाई भी की है
राजेन्द्र सिंह धामी क्रिकेट के साथ-साथ पढाई भी कर चुके हैं, उन्होने इतिहास विषय में मास्टर डिग्री पूरी करने के साथ-साथ बीएड की डिग्री भी ले चुके हैं, देश का प्रतिनिधित्व करने के बावजूद कोरोना काल में वो मूलभूत जरुरतों के लिये भी परेशानियों से जूझ रहे हैं। अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत करते हुए उन्होने कहा कि लॉकडाउन से पहले मैं रुद्रपुर (उत्तराखंड) में क्रिकेट खेलने में रुचि रखने वाले व्हीलचेयर से चलने वाले बच्चों को क्रिकेट कोचिंग देता था, लेकिन लॉकडाउन की वजह से मेरा काम ठप हो गया है, जिसके बाद में पिथौरागढ में अपने गांव रायकोट आ गया, जहां मेरे माता-पिता रहते हैं।

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सबसे मुश्किल दौर
धामी ने बताया कि मेरे माता-पिता बूढे हो चुके हैं, मेरी एक बहन और छोटा भाई भी है, मेरा भाई गुजरात के एक होटल में काम करता था, लेकिन लॉकडाउन के दौरान उसकी भी नौकरी चली गई, इसलिये मैंने मनरेगा योजना के तहत अपने गांव में काम करने का फैसला लिया, सरकार से किसी भी तरह की मदद नहीं मिली है, ये मेरे जीवन का सबसे मुश्किल समय है, धामी उत्तराखंड व्हीलचेयर क्रिकेट टीम का नेतृत्व करते हुए मलेशिया, बांग्लादेश और नेपाल जैसे देशों का दौरा कर चुके हैं।

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भारत की कप्तानी
धामी ने साल 2017 में भारत-नेपाल-बांग्लादेश त्रिकोणीय व्हीलचेयर क्रिकेट सीरीज में टीम इंडिया का नेतृत्व किया था, मदद के बारे में पूछे जाने पर उन्होने कहा कि कुछ लोग मेरी मदद के लिये आगे आये, जिसमें एक्टर सोनू सूद भी हैं, सोनू ने धामी को 11 हजार रुपये भेजे थे, रुद्रपुर और पिथौरागढ में भी कुछ लोगों ने आर्थिक मदद की, लेकिन ये काफी नहीं था, जीने के लिये किसी भी तरह का काम करने में कोई परेशानी नहीं है, मैंने मनरेगा में काम करने का फैसला लिया, ताकि घर के नजदीक रह सकूं और ये मुश्किल समय भी आसानी से निकल जाए।