‘भारत माता की जय और वंदेमातरम का नशा बस टूटने को है’

भाजपा अपनी गर्दन काट कर भी रख दे इन सामाजिक न्याय के वोटरों के आगे तो भी उसे एक वोट नहीं मिलने वाले ।

New Delhi, Jun 21 : आज की तारीख में अगर जम्मू कश्मीर में चुनाव होते हैं तो भाजपा शायद एक भी सीट नहीं पाने वाली । हर जगह ज़मानत ही जब्त होने वाली है भाजपा की । पूरे जम्मू और कश्मीर में । क्यों कि कश्मीरी पंडित और डोगरा दोनों ही भाजपा से बेतरह नाराज हैं । देश में भी भाजपा के पक्ष में कुछ खास नहीं है । मंहगाई , बेरोजगारी , भ्रष्टाचार तो सिर पर सवार हैं ही , कोढ़ में खाज आरक्षण की बेसुरी बीन है । आरक्षण कोटे के वोट तो सामाजिक न्याय के नाम पर भाजपा से पहले ही से दूर हैं । क्या दलित , क्या पिछड़े कोई भाजपा को वोट देता नहीं दिखता ।

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भाजपा अपनी गर्दन काट कर भी रख दे इन सामाजिक न्याय के वोटरों के आगे तो भी उसे एक वोट नहीं मिलने वाले । मुस्लिम वोट तो भाजपा सोचती भी नहीं । रह गए सवर्ण वोट । आरक्षण की बीन ऐसी बजाई है मोदी सरकार ने कि बाक़ी कोई भले वोट दे दे , भाजपा के जाल में आ कर , लेकिन सवर्ण तो सौ प्रतिशत अंगूठा ही दिखाएगा । सवर्ण अब भाजपा के राष्ट्रवाद और मंदिर के झांसे में भी नहीं आने वाला । मोदी सरकार के पक्ष में बस इतनी सी बात रह गई है कि मोदी के सामने कोई क़ायदे का नाम नहीं है । राहुल गांधी जैसे पप्पू ही मोदी की ताकत रह गए हैं । लेकिन जिस दिन विपक्ष ने एकजुट हो कर कोई भरोसेमंद नाम खोज कर सर्वसम्मति से तय कर लिया उसी दिन भाजपा का बाजा बज जाएगा ।

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अभी जो हालात और गुस्सा है भाजपा के खिलाफ देश में , भाजपा की चौतरफा ज़मानत ज़ब्त होने वाली है । नरेंद्र मोदी काठ की हाड़ी साबित होने जा रहे हैं । बिकाऊ मीडिया के प्रचार के झांसे मत रहिए। नरेंद्र मोदी और भाजपा की हालत ज़मीन पर बहुत पतली है ।

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जनता में खीझ और गुस्सा बहुत है । नोटबंदी , जी एस टी , कश्मीर , सर्जिकल स्ट्राइक , देशभक्ति आदि के भावुक झुनझुने में नहीं फंसने वाली है अब । बहुत हो गया । प्रमोशन में ही क्यों , ज्यूडिशियली में ही क्यों मोदी लोगों को 100 प्रतिशत चौतरफा आरक्षण की खीर खिलाते रहें । मजा 2019 के चुनाव में नाको चने चबा कर खुद चखें । राबिनहुड बनने का स्वांग टूट कर शेखचिल्ली में न बदल जाए तो कहिएगा । भारत माता की जय और वंदेमातरम का नशा बस टूटने को है । जन को किनारे रख कर बहुत हो गई मन की बात । भाजपा के घोषणा पत्र के वायदे तो वायदे-वायदे जायते हो चुके हैं ।

(वरिष्ठ पत्रकार दयानंद पांडेय के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)