महर्षि पतंजलि के बारे में जानते हैं आप ? यही हैं जिन्होंने दुनियाभर के लिए योग को आसान बनाया

आज के समय में योग सिर्फ शारीरिक समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए प्रयोग में लाया जा रहा है, जबकि ये मनुष्‍य को तन से ही नहीं मन से भी स्‍वस्‍थ कर सकता है ।

New Delhi, Jun 21 : महर्षि पतंजलि संभवत: पुष्यमित्र शुंग (195-142 ई.पू.) के शासनकाल में थे । आज हमारे लिए योग का ज्ञान सुलभता से उपलब्ध है तो इसका पूरा श्रेय महर्षि पतंजलि को ही जाता है । पहले योग सूत्र बिखरे हुए थे उन सूत्रों में से असल योग को समझना बहुत मुश्किल था । इस समस्या को समझते हुए महर्षि पतंजलि ने योग के 195 सूत्रों को इकट्ठा किया और अष्टांग योग का प्रतिपादन किया । हालांकि इसके कुछ ही अंगों का पालन किया जा रहा है ।

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पहले योग गुरु
कालांतर में महर्षि पतंजलि के प्रतिपादित 195 सूत्र योग दर्शन के स्तंभ माने गए । पतंजलि ही पहले और एकमात्र ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने योग को आस्था, अंधविश्वास और धर्म से बाहर निकालकर एक सुव्यवस्थित रूप दिया था । योग हिन्दू धर्म के छह दर्शनों में से एक है लेकिन इसका धर्म से कोई लेना-देना नहीं है । योग का ध्यान के साथ संयोजन होता है ।

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योग का धर्म से कोई संबंध नहीं
सिर्फ हिंदू धर्म में ही नहीं योग, ध्‍यान, क्रियाएं बौद्ध धर्म में भी ध्यान के लिए अहम माना जाता है । ध्यान का संबंध इस्लाम और इसाई धर्म के साथ भी है ।  यह ग्रंथ अब तक हज़ारों भाषाओं में लिखा जा चुका है । महर्षि पतंजलि ने अष्टांग योग की महिमा को बताया, जो स्वस्थ जीवन के लिए महत्वपूर्ण है. महर्षि पतंजलि ने द्वितीय और तृतीय पाद में जिस अष्टांग योग साधन का उपदेश दिया है ।

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ये हैं अष्‍टांग योग
अष्‍टांग योग, ये योग का कोई आसन नहीं बल्कि योग शास्‍त्र की पूरी प्रक्रिया है । इसे जीवन में जिस व्‍यक्ति ने उतार लिया उसे किसी प्रकार से दुख, परेशानियां छू नहीं सकते । अष्‍टांग योग के नाम इस प्रकार हैं । 1. यम, 2. नियम, 3. आसन, 4. प्राणायाम, 5. प्रत्याहार, 6. धारणा, 7. ध्यान और 8. समाधि । इन 8 अंगों के अपने-अपने उप अंग भी हैं । वर्तमान में योग के 3 ही अंग प्रचलन में हैं- आसन, प्राणायाम और ध्यान ।

कौन थे महंर्षि पतंजलि ?
महर्षि पतंजलि के जन्म के बारे में एक धार्मिक कहानी भी बताई जाती है ।  कहा जाता है कि बहुत समय पहले की बात है, सभी ऋषि-मुनि भगवान विष्णु के पास पहुंचे और बोले, “भगवन्, आपने धन्वन्तरि का रूप ले कर शारीरिक रोगों के उपचार के लिए आयुर्वेद दिया, लेकिन अभी भी पृथ्वी पर लोग काम, क्रोध और मन की वासनाओं से पीड़ित हैं, इन सभी विकारों से मुक्ति का तरीका क्या है? अधिकतर लोग शारीरिक ही नहीं, मानसिक और भावनात्मक स्तर पर भी विकारों से दुखी होते हैं.”

इस तरह हुआ महर्षि पतंजलि का अवतार
भगवान आदिशेष सर्प की शैया पर लेटे हुए थे । हज़ारों मुख वाले आदिशेष सर्प, जागरूकता के प्रतीक हैं । उन्होंने ऋषि मुनियों की प्रार्थना सुन, जागरूकता स्वरुप आदिशेष को महर्षि पतंजलि के रूप में पृथ्वी पर भेज दिया । इस तरह योग का ज्ञान प्रदान करने हेतु पृथ्वी पर महर्षि पतंजलि का अवतार हुआ । आज के समय में योग सिर्फ शारीरिक समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए प्रयोग में लाया जा रहा है, जबकि ये मनुष्‍य को तन से ही नहीं मन से भी स्‍वस्‍थ कर सकता है ।